UP Politics: अपना ही रिकॉर्ड तोड़ने के एक कदम दूर BSP, देखें क्या कहता हैं आंकड़े?
बीएसपी प्रमुख मायावती लोकसभा चुनाव में हार के बाद अब एक बार फिर से समीक्षा कर रही हैं. आकाश आनंद को उन्होंने फिर से अपना उत्तराधिकारी बना दिया है, लेकिन हम पार्टी के चुनावी इतिहास पर एक नजर डालते हैं.
UP News: लोकसभा चुनाव में बीएसपी का हाल उत्तर प्रदेश में अन्य दलों के अपेक्षा काफी खराब रहा. बीएसपी एक बार फिर 2014 की तरह 2024 में एक भी सीट नहीं जीत पाई है. बीते आठ चुनावों में पार्टी का जनाधार घटकर एक तिहाई हो गया है. लेकिन खास बात यह है कि बीएसपी ने जब 1989 का चुनाव लड़ा था तो 9.93 फीसदी वोट मिले थे. जबकि इस बार के चुनाव में केवल 9.39 फीसदी वोट मिला है.
दरअसल, चुनाव दर चुनाव की बात करें तो बीएसपी को सबसे कम वोट 1991 के चुनाव में मिला था, इस चुनाव में बीएसपी को केवल 8.70 फीसदी वोट मिला था. इसके बाद 1996 के चुनाव में बीएसपी का जनाधार दोगुना हो गया और 20.61 फीसदी वोट मिले. इसके बाद 2007 तक बीएसपी का जनाधार लगातार बढ़ता गया. 1998 के चुनाव में 20.90 फीसदी, 1999 के चुनाव 22.08 फीसदी और 2004 के चुनाव में 24.67 फीसदी वोट मिले.
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इस चुनाव में बना था रिकॉर्ड
इसके बाद 2007 के चुनाव में बीएसपी ने रिकॉर्ड बनाया और इस चुनाव के बाद उसका जनाधार लगातार कम होता गया है. बीएसपी को 2007 के चुनाव में पहली और अंतिम बार 30.43 फीसदी वोट मिले थे और मायावती के नेतृत्व में यूपी में सरकार बनी थी. इसके बाद 2009 के लोकसभा चुनाव में 27.42 फीसदी वोट मिले और 2012 के विधानसभा चुनाव में 25.91 फीसदी वोट मिले.
बीएसपी के जनाधार में बड़ी टूट 2014 के लोकसभा चुनाव से आई है. करीब 20 साल बाद बीएसपी का जनाधार 20 फीसदी से नीचे आया और इस चुनाव में पार्टी को केवल 19.77 फीसदी वोट मिले. इसके बाद 2017 के विधानसभा चुनाव में 22.23 फीसदी, 2019 के लोकसभा चुनाव में 19.43 फीसदी, 2022 के लोकसभा चुनाव में 12.83 फीसदी और 2024 के लोकसभा चुनाव में 9.39 फीसदी वोट मिले हैं.
यानी चुनावी इतिहास को देखा जाए तो करीब 33 सालों के बाद पार्टी का जनाधार दस फीसदी से नीचे आया है और खास बात यह है कि 2007 के मुकाबले पार्टी का जनाधार एक तिहाई हो गया है.