UP Politics: अखिलेश यादव पर फिर भड़कीं मायावती, गठबंधन नहीं करने की बताई वजह, विपक्षी दलों को भी दी सलाह
बीएसपी चीफ मायावती ने एक बार फिर सोशल मीडिया के जरिए टिप्पणी करते हुए समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव को निशाने पर लिया है. उन्होंने 1995 की घटना का जिक्र किया है.
UP News: बीते कई दिनों से मायावती की पार्टी के इंडिया गठबंधन में आने की चर्चा चल रही है. इन चर्चाओं ने सियासी बयानबाजी को बढ़ा दिया है. अब मायावती और अखिलेश यादव आपस में भिड़ गए हैं. मायावती ने एक बार फिर से अखिलेश यादव पर जुबानी हमला बोला है और गठबंधन नहीं करने की खास वजह बताई है.
मायावती ने लिखा, 'सपा अति-पिछड़ों के साथ-साथ जबरदस्त दलित-विरोधी पार्टी भी है, हालाँकि बीएसपी ने पिछले लोकसभा आमचुनाव में सपा से गठबन्धन करके इनके दलित-विरोधी चाल, चरित्र व चेहरे को थोड़ा बदलने का प्रयास किया. लेकिन चुनाव खत्म होने के बाद ही सपा पुनः अपने दलित-विरोधी जातिवादी एजेण्डे पर आ गई.'
बीएसपी चीफ ने कहा, 'अब सपा मुखिया जिससे भी गठबन्धन की बात करते हैं उनकी पहली शर्त बसपा से दूरी बनाए रखने की होती है, जिसे मीडिया भी खूब प्रचारित करता है. वैसे भी सपा के 2 जून 1995 सहित घिनौने कृत्यों को देखते हुए व इनकी सरकार के दौरान जिस प्रकार से अनेकों दलित-विरोधी फैसले लिये गये हैं.'
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जताया आशंका
उन्होंने कहा, 'जिनमें बीएसपी यूपी स्टेटआफिस के पास ऊँचा पुल बनाने का कृत्य भी है जहाँ से षड्यन्त्रकारी अराजक तत्व पार्टी दफ्तर, कर्मचारियों व राष्ट्रीय प्रमुख को भी हानि पहुँचा सकते हैं जिसकी वजह से पार्टी को महापुरुषों की प्रतिमाओं को वहाँ से हटाकर पार्टी प्रमुख के निवास पर शिफ्ट करना पड़ा.'
BSP प्रमुख ने कहा, 'साथ ही, इस असुरक्षा को देखते हुए सुरक्षा सुझाव पर पार्टी प्रमुख को अब पार्टी की अधिकतर बैठकें अपने निवास पर करने को मजबूर होना पड़ रहा है, जबकि पार्टी दफ्तर में होने वाली बड़ी बैठकों में पार्टी प्रमुख के पहुँचने पर वहाँ पुल पर सुरक्षाकर्मियों की अतिरिक्त तैनाती करनी पड़ती है.'
उन्होंने कहा, 'ऐसे हालात में बीएसपी यूपी सरकार से वर्तमान पार्टी प्रदेश कार्यालय के स्थान पर अन्यत्र सुरक्षित स्थान पर व्यवस्था करने का भी विशेष अनुरोध करती है, वरना फिर यहाँ कभी भी कोई अनहोनी हो सकती है. साथ ही, दलित-विरोधी तत्वों से भी सरकार सख़्ती से निपटे, पार्टी की यह भी माँग है.'