लखनऊ। बहुजन समाज पार्टी के मुखिया मायावती ने प्रवासी मजदूरों के मुद्दे पर सरकार को एक बार फिर घेरा है. बसपा प्रमुख ने इस बार महाराष्ट्र सरकार और केंद्र सरकार के बीच श्रमिकों को लेकर जारी विवाद पर निशाना साधा है. मायावती ने कहा कि विवाद के बीच बहुत से श्रमिक पिस रहे हैं. ये दुर्भाग्यपूर्ण है. उन्होंने कहा कि आरोप-प्रत्यारोप छोड़कर मजदूरों के दिक्कतों पर ध्यान दें ताकि ये कोरोना के चपेट में आने से बच सकें. बसपा सुप्रीमो ने कहा कि सरकार चाहे भाजपा की हो या कांग्रेस की प्रवासी मजदूर और स्वास्थ्य कर्मी सबसे ज्यादा प्रताड़ित हो रहे हैं.





मायावती ने ट्वीट करते हुये लिखा कि ''केन्द्र व महाराष्ट्र सरकार के बीच विवाद के कारण लाखों प्रवासी श्रमिक अभी भी बहुत बुरी तरह से पिस रहे हैं जो अति-दुःखद व दुर्भाग्यपूर्ण। जरूरी है कि आरोप-प्रत्यारोप छोड़कर इन मजलूमों पर ध्यान दें ताकि कोरोना की चपेट में फंसकर इन लोगों की जिन्दगी पूरी तरह बर्बाद होने से बच सके''.





इसके अलावा ट्वीट के अगले हिस्से में भाजपा-कांग्रेस को घेरते हुये ट्वीट किया, ''वैसे भी चाहे बीजेपी की सरकारें हों या फिर कांग्रेस पार्टी की, कोरोना महामारी व लम्बे लॉकडाउन से सर्वाधिक पीड़ित प्रवासी श्रमिकों व मेडिकलकर्मियों के हितों की उपेक्षा व प्रताड़ना जिस प्रकार से लगातार की जा रही है वह भी उचित व देशहित में कतई नहीं है. सरकारें तुरन्त ध्यान दें''.


महाराष्ट्र और केंद्र सरकार के बीच ट्रेन विवाद


आपको बता दें कि महाराष्ट्र और केंद्र सरकार के बीच ट्रेनों को लेकर विवाद लगातार बढ़ता जा रहा है. महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे का कहना है कि केंद्र हमें पर्याप्त संख्या में ट्रेनें उपलब्ध नहीं करवा रहा है. वहीं केंद्रीय रेल मंत्री का आरोप है कि हमने ट्रेनें उपलब्ध करवा दी हैं लेकिन राज्य सरकार की तरफ से प्रवासी मजदूरों की संख्या को लेकर जानकारी नहीं दी जा रही है.


इससे पहले रविवार को बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने प्रवासी मजदूरों की दुर्दशा के लिए भाजपा की केंद्र सरकार व कांग्रेस दोनों को जिम्मेदार ठहराया. उन्होंने कहा कि मजदूरों के मुद्दे पर दोनों ही पार्टियां घिनौनी राजनीति कर रही हैं. इसके अलावा उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार व कांग्रेस ने मजदूरों की लगातार अनदेखी की है जिसके कारण उन्हें रोजगार के लिए अलग-अलग शहरों में जाना पड़ा और अब लॉकडाउन के कारण वो भूखे-प्यासे सैकड़ों किलोमीटर पैदल चलने को मजबूर हैं.