मुख्तार को संरक्षण दिया, अब्बास और सुहैब को बनाया विधायक, अब अफजाल की पॉलिटिक्स पर लगा ग्रहण! जानें पूरा सियासी सफर
साल 2009 में उन्होंने बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा और हार गए. अफजाल ने निजी कौमी एकता दल बनाया. हालांकि साल 2014 में वह चुनाव लड़े और फिर हार गए.
Afzal Ansari Politics: उत्तर प्रदेश में गाजीपुर की एमपी-एमएलए कोर्ट ने शनिवार को बहुजन समाज पार्टी के सांसद अफजाल अंसारी को सजा सुनाई. गैंगस्टर मामले में अफजाल अंसारी की सजा के चलते 37 साल की राजनीति के भविष्य पर अब प्रश्न चिन्ह खड़ा होता दिखाई दे रहा है. पांच बार के विधायक और गाजीपुर से मौजूदा सांसद अफजाल अंसारी साल 9185 में पहली बार विधायक बने थे.
छात्र जीवन के वक्त से ही पॉलिटिक्स में एक्टिव अफजाल ने औपचारिक तौर पर 1985 में सियासी सफल शुरु किया. यूपी में साल 1985 के चुनाव में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के टिकट पर चुनाल जीत कर विधायक बने. इसके बाद वह साल 1989, 1991, 1993 और फिर साल 1996 में लगातार जीतते रहे.
सपा के टिकट पर लड़ा चुनाव, फिर बनाई अपनी पार्टी
हालांकि साल 2002 के विधानसभा चुनाव में वह भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी रहे कृष्णानंद राय से चुनाव हार गए. साल 1993, साल 1996 और साल 2002 का चुनाव अफजाल ने समाजवादी पार्टी के टिकट पर लड़ा. इतना ही नहीं अफजाल ने साल 2004 में सपा के टिकट पर लोकसभा चुनाव भी लड़ा था. वहीं साल 2005 में कृष्णानंद की राय की हत्या के मामले में वह जेल चले गए. इसके बाद साल 2009 में उन्होंने बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा और हार गए.
इसके बाद अफजाल ने निजी कौमी एकता दल बनाया. हालांकि साल 2014 में वह चुनाव लड़े और फिर हार गए. इसके बाद साल 2019 में उन्होंने बसपा-सपा के गठबंधन में चुनाव लड़ा और तत्कालीन रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा को हरा दिया.
कृष्णानंद राय की हत्या के मामले में बरी, अफजाल हमेशा से खुद को बेदाग बताते रहे लेकिन शनिवार को आए फैसले ने उनके इस दावे को भी धता बता दिया. माना जाता है कि अफजाल के संरक्षण में ही मुख्तार अंसारी ने अपराध और राजनीति में दबदबा बनाया. इतना ही नहीं उन्होंने परिवार की नई पीढ़ी को भी विधानसभा पहुंचा दिया. साल 2022 के विधानसभा चुनाव में अब्बास अंसारी और सुहैब अंसारी ने जीत दर्ज की थी.