UP News: समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) दलित वोट बैंक के सहारे 2024 की नैया पार करने की तैयारी कर रही है. वहीं बसपा (BSP) के सामने अपने काडर वोट बैंक को सहेजने की चुनौती बढ़ गई है. अब सपा की इस चाल की काट कैसे की जाए, इसके लिए बसपा में मंथन शुरू हो गया है. बसपा एक बार फिर अपना खोया हुआ जनाधार वापस पाने की तैयारी में लगी हुई है. 


सपा विभिन्न कमेटियों में दलित भागीदारी बढ़ाने की तैयारी में लगी हुई है. जिससे अंबेडकर के नाम पर दलितों को रिझाने की कोशिश हो सके. सपा के प्रांतीय और राष्ट्रीय सम्मेलन में बार-बार दलितों के उत्पीड़न और अंबेडकर के सपनों को साकार करने की दुहाई दी गई. वहीं सपा के रणनीतिकारों का मानना है कि पार्टी पांच फीसदी दलितों को अपने पाले में लाने में सफल रही तो प्रदेश की सियासी तस्वीर बदल जाएगी. इस वजह से अब बसपा भी अपने वोट बैंक बचाने के लिए कांशी राम का सहारा फिर से लेगी. 


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मायावती ने दिए निर्देश
सपा के दलित वोट बैंक पर निशाने के लिए बसपा ने तैयारी शुरू कर दी है. पार्टी परिनिर्वाण दिवस के मौके पर नौ अक्टूबर को प्रदेश के सभी मंडलों में कार्यक्रम आयोजित करने जा रही है. इस दौरान काशी राम की गाथा घर-घर बताई जाएगी. बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने इसे लेकर जिला अध्यक्षों को निर्देश दिए हैं. 


दूसरी ओर सपा विभिन्न कमेटियों में दलितों की भागीदारी बढ़ाने की तैयारी में भी लग गई है. जिससे अंबेडकर के नाम पर दलितों को रिझाने की कोशिश हो सके. पहले सपा ने बाबा साहब वाहिनी बनाने का ऐलान किया था. इसका असर यह रहा था कि पूर्व कैबिनेट मंत्री केके गौतम, इंद्रजीत सरोज समेत बसपा के कई दलित नेताओं ने सपा का रुख किया. वाहिनी के नाम पर पार्टी में राष्ट्रीय से लेकर विधानसभा और क्षेत्रवार कमेटी भी बनाई गई है.


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