Budget 2020 आर्थिक मंदी के बीच वित्त मंत्री के सामने संतुलित बजट पेश करने की होगी चुनौती
अर्थव्यवस्था के लिये मौजूदा दौर बहुत अच्छा नहीं कहा जा सकता है, ऐसे में बढ़ती महंगाई और मध्यम वर्ग को ध्यान में रखते हुये वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण शनिवार को आम बजट पेश करेंगी
नई दिल्ली, एबीपी गंगा। Budget 2020 शनिवार को पेश होनेवाले आम बजट पर सभी की निगाहें लगी हुई हैं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 11 बजे अपना दूसरा बजट भाषण पढ़ेंगी। मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में पेश होनेवाले यह बजट सरकार के लिये काफी चुनौतीपूर्ण रहनेवाला है। इसकी सबसे बड़ी वजह चालू वित्त वर्ष में भारत की आर्थिक वृद्धि की रफ्तार के एक दशक के न्यूनतम स्तर पर रहने का अनुमान लगाया गया है। दूसरी ओर टैक्स कलेक्शन में भी उल्लेखनीय कमी आई है और राजकोषीय घाटे के भी सरकार के बजट लक्ष्य से अधिक रहने का अनुमान है। सीतारमण के समक्ष इस बजट में संतुलन कायम करने की सबसे बड़ी चुनौती है। सितंबर, 2019 में कॉरपोरेट टैक्स में भारी कमी के बाद देश का मिडिल क्लास इनकम टैक्स के मोर्चे पर राहत की उम्मीद कर रहा है। बजट में हो सकते हैं ये संभावित एलान..
आयकर सीमा और दर में बदलाव
कंपनियों को टैक्स के मोर्चे पर रिलीफ मिलने के बाद देश के नौकरीपेशा लोग इस बात की उम्मीद कर रहे हैं कि वित्त मंत्री के बजट के पिटारे से इस बार उनके लिए भी राहत का ऐलान हो सकता है। एक्सपर्ट की मानें तो मौजूदा वक्त डिमांड को बूस्ट करने की सबसे ज्यादा जरूरत है। इसके लिए जरूरी है कि देश के मिडिल क्लास के हाथ में पैसे हों। विशेषज्ञों की राय में वित्त वर्ष 2020-21 के बजट में पांच लाख रुपये से दस लाख रुपये तक की आय वाले लोगों के लिए कर में कटौती की सबसे ज्यादा जरूरत है, क्योंकि वे 20 फीसद की दर से टैक्स का भुगतान कर रहे हैं।
मानक कटौती में बढ़ोत्तरी
वित्त मामलों के जानकार सुरजुन त्यागी के मुताबिक, सीतारमण इस बार के बजट में स्टैंडर्ड डिडक्शन (मानक कटौती) को बढ़ा सकती हैं। इससे भी आमजन को आयकर में बड़ी राहत की उम्मीद है। फिलहाल टैक्सपेयर को 50,000 रुपये तक का Standard Deduction मिलता है।
टैक्स एक्जेम्पशन एवं सेक्शन 80 (C) की सीमा में बढ़ोत्तरी
कई टैक्स विश्लेषकों का मानना है कि राजकोषीय घाटा एवं टैक्स कलेक्शन में कमी के कारण सरकार के हाथ बंधे हुए हैं और आयकर की दर में कमी की बहुत गुंजाइश नहीं बच गई है। हालांकि, उनका मानना है कि सरकार 80 (C) एवं टैक्स एक्जेम्पशन की सीमा को बढ़ाकर आम लोगों को राहत दे सकती है।
होम लोन, एजुकेशन लोन में राहत
आर्थिक मामलों के विशेषज्ञों का मानना है कि लोगों को होम लोन एवं एजुकेशन लोन पर विशेष छूट दिए जाने की दरकार है। इससे संकटग्रस्त रियल एस्टेट सेक्टर को भी उबारने में भी बड़ी मदद मिल सकती है, क्योंकि लोग टैक्स सेविंग के लिए इस सेक्टर में जयादा से ज्यादा निवेश करेंगे।
किसानों की आय बढ़ाने पर जोर
विश्लेषकों का मानना है कि ग्रामीण आबादी की आय बढ़ाए बिना अर्थव्यवस्था को दुरुस्त नहीं किया जा सकता है। इसलिए ऐसा माना जा रहा है कि सरकार किसानों के लिए महत्वपूर्ण एलान कर सकती है। इसके साथ ही किसान सम्मान निधि एवं मनरेगा के मद में आवंटन बढ़ाया जा सकता है। 2019 के अंतरिम बजट पेश करते समय पीयूष गोयल ने इस योजना की घोषणा की थी। इसके तहत किसानों को हर साल 6,000 रुपये की राशि सीधे उनके बैंक खातों में भेजी जाती है।
सड़क, रेलवे और ग्रामीण विकास पर खर्च में बढ़ोत्तरी
सरकार मार्केट में लिक्विडिटी की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए अपने खर्च में बढ़ोत्तरी कर सकती है। इसके तहत सरकार सड़क, रेलवे और ग्रामीण विकास से जुड़ी योजनाओं पर अपने खर्च में वृद्धि की घोषणा कर सकती है। इससे मार्केट में पैसा होगा और जीडीपी ग्रोथ में तेजी आएगी। बहुत संभव है कि सीतारमण अपने बजट भाषण में इन्फ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र में अगले पांच साल में 105 ट्रिलियन रुपये खर्च करने की योजना देश के सामने रख सकती हैं।