Budget 2020: पहली बार टैक्स स्लैब चुनने के दो विकल्प, नई दर चुनी, तो इन रियायतों का नहीं मिलेगा लाभ
Budget 2020: पहली बार टैक्स स्लैब चुनने के दो विकल्प रखे गए हैं, लेकिन अगर आपने नई दर चुनी, तो 70 रियायतों का लाभ नहीं मिलेगा। ये 70 रियायते कौन सी हैं, पढ़ें।
नई दिल्ली, एबीपी गंगा। बजट के पिटारे से आपके लिए क्या निकला है, ये हर कोई जानना चाहता है। खासकर वो लोग जो टैक्स स्लैब के दायरे में आते हैं, वो ये समझना चाहते हैं कि आखिर उनके लिए नई और पुरानी आयकर व्यवस्था में से कौन सी फायदेमंद रहेगी। सबसे पहले प्रत्यक्ष करों की बात करें, तो आपके लिए ये जानना जरूरी है कि लंबे समय बाद आयकर दरों में कटौरी की गई है, लेकिन इसे वैकल्पिक रखा गया है। ऐसा पहली बार हुआ है कि दो तरह के टैक्स स्लैब को चुनने का विकल्प रखा गया है। पुरानी दरों में किसी भी प्रकार को कोई बदलाव नहीं किया गया है, जबकि नया विकल्प चुनने वालों के लिए कर दी दर भले ही कम हो गई हैं, लेकिन ये लाभ उन्हें तब ही प्राप्त होगा, जब वो किसी तरह प्रकार का निवेश करके पैसे और कर को नहीं बचाते हैं। सीधा समझा जाए, तो अगर करदाता रियायतों का लाभ उठाना चाहता हैं, तो उन्हें पुरानी दरों पर ही टैक्स को चुकाना होगा। बात सालाना 15 लाख रुपये तक की कमाई वालों के करें, तो उनके लिए टैक्स स्लैब की दरों में 10 फीसदी तक कमी की गई है।
नई और पुरानी कर व्यवस्था के मुताबिक
नई कर व्यवस्था में सालाना 5 लाख से 7.5 लाख रुपए तक की आय पर अब 20 प्रतिशत की बजाय 10 प्रतिशत टैक्स लगेगा। लेकिन प्रस्तावित वैकल्पिक नए आयकर ढांचे के मुताबिक, इसे चुनने वाले करदाताओं को आयकर कानून की धारा 80सी और 80डी, यात्रा भत्ता और आवास ऋण के ब्याज पर मिलने वाले कर का लाभ और कटौती उपलब्ध नहीं होगी। नई व्यवस्था में ऐसी करीब 70 रियायतों को खत्म कर दिया गया है। अब करदाताओं को केवल 30 पर ही छूट का मौका मिलेगा।
एक्सपर्ट्स की मानें तो, पुराने विकल्प में 12.05 लाख रुपए तक की आय टैक्स फ्री हो सकती है, जबकि नए स्लैब के मुताबिक मुताबिक 1 लाख 20 हजार 640 का टैक्स देना पड़ेगा। दरअसल, नई व्यवस्था में करीब 100 में से 70 डिडक्शन घटा दिए गए हैं।
कौन-कौन से प्रमुख रियायतों को खत्म किया गया?
- दो बच्चों की ट्यूशन फीस
- हाउस रेंट
- लीव ट्रैवल अलाउंस
- अलाउंस फॉर इनकम ऑफ माइनर
- 50 हजार रुपए का स्टैंडर्ड डिडक्शन
- 80सी (लाइफ इंश्योरेंस प्रीमियम, प्रोविडेंट फंड, एनपीएस)
- 80सीसीसी (पेंशन फंड में योगदान)
- 80डी (हेल्थ इंश्योरेंस)
- 80ई (हायर एजुकेशन के लोन पर ब्याज का भुगतान)
- 80ईई (हाउस लोन पर ब्याज का भुगतान)
- 80ईईबी (इलेक्ट्रिक व्हीकल की खरीदने पर डिडक्शन)
- 80जी (डोनेशन)
एक साल तक बढ़ी होमलोन ब्याज पर छूट
31 मार्च 2021 तक आवास ऋण के ब्याज पर मिलने वाली 3.5 लाख रुपये तक की कर छूट जारी रहेगी। बता दें कि पिछले बजट में ब्याज पर कर छूट 2 लाख रुपये से बढ़ाकर 3.5 लाख रुपये की गई थी। जबकि, जुलाई 2014 में इसे 1.5 लाख से 2 लाख किया था। ऐसे में अगर आप 31 मार्च 2021 से पहले 45 लाख रुपये तक का घर खरीदते हैं, तो ब्याज भुगतान पर आपको 1.5 लाख अधिक कटौती का लाभ प्राप्त होगा।
सीधे तौर पर समझें तो अगर आप नए विकल्प का चयन करते हैं, तो आयकर की विभिन्न धाराओं के तहत मिलने वाली छूटा का फायदा आपको नहीं मिलेगा। भले ही छूट की अनदेखी के चलते आपको नया विकल्प आसान लहे, लेकिन अगर आप भविष्य के लिए निवेश कर रहे हैं, तो पुराना विकल्प ही सही होगा।
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