कभी शाम को पेश होता था बजट, इस वित्त मंत्री ने बदली अंग्रेजों के जमाने की परंपरा, जानें- खास बातें
आजादी मिलने के बाद भी अंग्रेजों की कई परंपराओं को सालों तक ढोया गया। इसमें बजट को शाम 5 बजे पेश करने की परंपरा भी शामिल थी। इसे 2001 में तत्कालीन वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने बदलकर 11 बजे सुबह कर दिया था।
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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी 2020 को अपना दूसरा केंद्रीय बजट पेश करेंगी। वह सुबह 11 बजे बजट पेश करेंगी। अगर आप करीब दो दशक पीछे जाएंगे तो आप देखेंगे कि केंद्रीय बजट शाम के पांच बजे पेश किया जाता था। ऐसे में आपके लिए यह जानना जरूरी है कि केंद्रीय बजट शाम के समय क्यों पेश किया जाता और अब इसे 11 बजे क्यों पेश किया जाता है।
इस वित्त मंत्री ने बदला बजट पेश करने का समय आजादी मिलने के बाद भी अंग्रेजों की कई परंपराओं को सालों तक ढोया गया। इसमें बजट को शाम 5 बजे पेश करने की परंपरा भी शामिल थी। इसे 2001 में तत्कालीन वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने बदलकर 11 बजे सुबह कर दिया था। भाजपा के शासनकाल में हुए इस बदलाव के बाद बजट हमेशा 11 बजे सुबह को ही पेश किया जाने लगा। बाद में कांग्रेस ने भी इस नई परंपरा को फॉलो किया और यह आज तक चली आ रही है। यशवंत सिन्हा ने 7 बार देश का बजट पेश किया। इस दौरान देश की इकोनॉमी में कई बड़े बदलाव आए। इसमें टेलिकॉम कम्युनिकेशन सेक्टर और पेट्रोलियम इंडस्ट्री को नियंत्रण मुक्त करना जैसे कई सुधार शामिल हैं।
अंग्रेजों के जमाने से सचली आ रही थी परंपरा भारत में बजट को 5 बजे पेश करने की परंपरा अंग्रेजों के राज से चली आ रही थी। बजट 5 बजे पेश करने के पीछे कारण था ब्रिटेन का बजट। दरअसल, ब्रिटेन में बजट सुबह 11.00 बजे पेश किया जाता था और इसमें भारत के लिए बजट भी शामिल होता था। ऐसे में भारत में उसी समय पार्लियामेंट में बजट पास किया जाना जरूरी था। शाम 5 बजे का समय इसलिए चुना गया था, क्योंकि इस समय ब्रिटेन में 11.30 बज रहे होते थे। इस तरह ब्रिटिश सरकार की तरफ से शुरू की गई परंपरा को हमने आजादी के बाद भी फॉलो किया और इसमें बदलाव 2001 में ही हो पाया।
आम बजट में ही शामिल हुआ रेल बजट मोदी सरकार ने न सिर्फ बजट को फरवरी में पहली तारीख को पेश करने का बदलाव किया है, बल्कि इसके अलावा उन्होंने भी अंग्रेजों के जमाने से चली आ रही एक और परंपरा बदली है। सरकार ने अलग पेश किए जाने वाले रेल बजट को भी अब आम बजट में ही शामिल कर दिया है। रेल बजट को अलग से पेश करने की परंपरा को खत्म करने का सुझाव रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने दिया था और नीति आयोग ने भी इसकी पैरवी की थी।
अंग्रेजों ने किया अलग रेल बजट भारत में अंग्रेज इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत करने में जुटे थे तब उन्होंने आम बजट से रेल बजट को अलग करने का फैसला लिया। अंग्रेजों का मानना था कि भारत में इंफ्रास्ट्रक्चर की मजबूती के लिए इस सेक्टर (रेल) पर ज्यादा ध्यान देना जरूरी है। इसी वजह से 1924 में रेल बजट को आम बजट से अलग कर दिया गया। भारतीय रेलवे को दुनिया के सबसे मजबूत रेल नेटवर्क में से एक बनाने का श्रेय इस परंपरा को भी जाता है। फिलहाल ये परंपरा भी बदल चुकी है।
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