मुरादाबाद. यूपी के मुरादाबाद जिले में कई परिवारों के साथ बड़ा धोखा हुआ है. जिंदगी भर की कमाई लगाकर फ्लैट लेने वाले परिवार मुसीबत में फंस गए हैं. मामला आकाश रेजीडेंसी नाम की बहुमंजिला आवासीय सोसायटी का है. दरअसल, बिल्डर ने विकास प्राधिकर और फायर विभाग से बिना एनओसी लिए ही 12 मंजिला के पांच टावर खड़े कर दिए. यहां रहने वाले लोगों को इसका पता तब चला जब मुरादाबाद विकास प्राधिकरण ने सोसायटी का एक रास्ता ही सील कर दिया. 


तब पता चला कि मुरादाबाद विकास प्राधिकरण से इस बिल्डिंग को अभी एनओसी भी नहीं मिली है. ना ही फायर विभाग से इसे एनओसी मिल पाई है. इस सोसायटी में 12-12 मंजिल के 5 टावर हैं. एक टावर में लगभग 400 फैमिली सेट्स हैं. इसमें 30 लाख से 45 लाख तक की कीमत के फ्लैट्स हैं. 


फायर विभाग के सीएफओ ने बताया कि मुरादाबाद में बहुमंजिला इमारतों में आग बुझाने के काम आने वाला हाइड्रोलिक फायर टेंडर उनके पास नहीं है. ऐसे में अगर बहुमंजिला की इमारत में आग लग जाती है तो उसमें रहने वालों की जान बचा पाना बहुत मुश्किल हो जायेगा. फायर विभाग के पास संसाधनों की कमी है और निजी बिल्डर नियम के खिलाफ ऊंचे टावर बना रहे हैं, इसलिए फायर विभाग नियम विरुद्ध कार्य करने वालों को एनओसी नहीं देता है. मुरादाबाद और उसके आसपास के जनपदों में भी कोई हाइड्रोलिक फायर टेंडर नहीं है. 


उन्होंने बताया कि बहुमंजिला इमारतों में आग बुझाने वाले हाइड्रोलिक फायर टेंडर नोएडा और गाजियाबाद में है, जहां से मंगवाने में 4 से 5 घंटे लग जायेंगे. ऐसे में बड़ी हानि हो सकती है. सीएफओ का कहना है की वर्ष 2018 से वह लगातार हाइड्रोलिक फायर टेंडर की मांग कर रहे हैं, लेकिन अभी तक मिल नहीं पाया है.


विकास प्राधिकरण पर मिलीभगत का आरोप
वहीं, इन फ्लैटों में रहने वाले परिवारों ने मुरादाबाद विकास प्राधिकरण पर प्राइवेट बिल्डरों से मिलीभगत का आरोप लगाया है. लोगों का कहना है कि वह कई बार पुलिस और प्रशासन में शिकायतें कर चुके हैं, लेकिन आरोपी बिल्डर पर कोई कार्यवाही नहीं होती है. हर समय उन्हें अपनी जान का ख़तरा बना रहता है. 


आरोप ये भी है की मुरादाबाद में राम गंगा नदी के किनारे ऐसे बिल्डरों ने बड़े पैमाने पर अतिक्रमण कर लिया है और वह लगातार अवैध निर्माण कर रहे हैं. फायर एक्सपर्ट सुमित सक्सेना जो इसी आकाश रेजीडेंसी में रहते हैं. उनका आरोप है कि इस बिल्डिंग में फायर मशीन पूरी तरह खराब पड़ी हैं.


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