Agra News: आगरा में एक मुगलकालीन कहे जाने वाली इमारत को तोड़ने को लेकर हलचल मची हुई है. मुगलकालीन कहे जाने वाली इमारत मुबारक मंजिल को ध्वस्त करने का काम किया जा रहा था जिसे अब राज्य पुरातत्व विभाग के अधिकारियों ने रुकवा दिया है. आगरा की 17वीं सदी की मुबारक मंजिल जिसे औरंगजेब की हवेली भी कहा जाता है, उसे हाल ही में एक बिल्डर ने ध्वस्त कर दिया है. मौके पर इमारत का मलबा पड़ा हुआ है.
जानकारी के अनुसार राज्य पुरातत्व विभाग ने इसे संरक्षित स्मारक घोषित करने के लिए अधिसूचना जारी की थी, लेकिन इसके बावजूद इसे गिरने का काम किया गया. बताते हैं कि इस ऐतिहासिक स्थल का एक महत्वपूर्ण स्थान था, जिसमें मुगलों और ब्रिटिश शासन के दौरान कई बदलाव हुए थे. इस मामले पर स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया कि बिल्डर ने प्रशासनिक अधिकारियों की मिलीभगत से यह कार्रवाई की और अब तक बिल्डिंग का एक बड़ा हिस्सा नष्ट हो चुका है. राज्य पुरातत्व विभाग ने फिलहाल काम को रुकवा दिया है. मुबारक मंजिल मुगल और ब्रिटिश काम से ही चर्चित रही है और औरंगजेब द्वारा सामूगढ़ की लड़ाई में जीत के दौरान इस बिल्डिंग का नाम मुबारक मंजिल पड़ा था.
औरंगजेब को बिना युद्ध के मिली थी इमारत
बिल्डिंग के दूसरे हिस्से में रह रहे ऋषि खंडेलवाल ने बताया कि जिस हिस्से को तोड़ा गया है वह उनके चाचा का हिस्सा है और स्वर्गीय चाचा के बेटे ने इसे एक बिल्डर को बेच दिया. उसके बाद बिल्डर इसे तोड़वा रहे है, इस मुबारक मंजिल को हाल में तारा निवास के नाम से भी जाना जाता है, दारा शिकवा से युद्ध के लिए जब औरंगजेब आए थे तो इसी बिल्डिंग में रुके थे और बिना युद्ध हुए उन्हें विजय मिली थी, तभी से इस बिल्डिंग का नाम मुबारक मंजिल पड़ गया था. उसके बाद अंग्रेजों ने इस बिल्डिंग को प्रयोग में लिया था, हमारे बाबा को उसी दौरान राय बहादुर की उपाधि मिली थी , यह पूरा परिसर हमारे बाबा के नाम था. मुबारक मंजिल के मामले में आगरा निवासी कपिल वाजपई ने विभागीय शिकायत दर्ज कराई थी.
इस मामले पर शिकायतकर्ता कपिल वाजपई ने बताया कि, यह हेरिटेज बिल्डिंग ने जिसे तोड़ा जा रहा है जबकि विभाग में इसको लेकर अधिसूचना जारी की है. इस बिल्डिंग को पिछले काफी समय से तोड़ा जा रहा है. शिकायत करने के बाद भी अधिकारी गुमराह कर रहे थे, इस मुबारक मंजिल जो कि हेरिटेज साइड है उसे यह कह कर तोड़ा जा रहा है कि यह आउटर साइड को तोड़ा गया है. अब मुबारक मंजिल के मामले में सियासत भी शुरू हो गई है. समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने इसे लेकर ट्वीट किया है. अखिलेश यादव ने एक्स पर लिखा, "भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण विभाग जागे नहीं तो चलानेवाले उनके प्रतिष्ठा पर भी बुलडोज़र चला देंगे"
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