बुलंदशहर: भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई सरकार की महत्वाकांक्षी योजना, खुले में शौच जाने को मजबूर हैं महिलाएं
पीएम मोदी के खुले में शौच मुक्त भारत के सपने को साकार करने के लिए सीएम योगी ने भी हर मुमकिन कदम उठाए. लेकिन, प्रधान और ग्राम पंचायत विकास अधिकारी की मिली भगत से योजना भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई.
बुलंदशहर: महिलाओं को खुले में शौच के लिए बाहर जाने को मजबूर न होना पड़े इसलिए सरकार की महत्वाकांक्षी योजना स्वच्छ भारत अभियान के तहत गांवों में घर-घर शौचालय का निर्माण कराया गया. शायद यही कारण था कि शौचालयों को नाम भी इजजत घर दिया गया. लेकिन, बुलंदशहर के खुर्जा ब्लॉक के ढाकर गांव में प्रधान और ग्राम पंचायत विकास अधिकारी की मिली भगत से ये योजना भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई.
भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई योजना पीएम मोदी के खुले में शौच मुक्त भारत के सपने को साकार करने के लिए सीएम योगी ने भी न सिर्फ हर मुमकिन कदम उठाए बल्कि योजना को धरातल पर लाने के लिए उनकी ओर से अधिकारियों को ये स्पष्ट निर्देश दिए गए. मगर, खुर्जा ब्लॉक के ढाकर गांव में ग्राम प्रधान और ग्राम पंचायत विकास अधिकारी की मिली भगत से पीएम और सीएम की ये महत्वाकांक्षी घर-घर शौचालय योजना भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई.
खुले में शौच जाने को मजबूर यहां ग्रामीणों के लिए शौचालयों का निर्माण तो कराया गया मगर भ्रष्टाचार के मिश्रण से बने ये सरकारी शौचालय मौसम की मार तक नहीं झेल सके. इन शौचालयों में न सिर्फ बड़ी-बड़ी दरारें पड़ गई हैं, बल्कि महज एक साल में ही शौचालय पूरी तरह जर्जर हो गए हैं. इसी वजह से लोगों ने अपने शौचालय में ज्यादातर है कंडे और लकड़ी भर रखे हैं. आलम ये है कि गांव की बहुत सी महिलाएं योजना के शौचालय बने होने के बाद भी खुले में शौच जाने को मजबूर हैं.
प्रधान ने शर्त पर बनवाए शौचालय ग्रामीणों का आरोप है कि प्रधान ने शौचालय इस शर्त पर बनवाए थे कि उसके खुद के मजदूर अपनी मर्जी का मटेरियल लगाकर गांव में शौचालय बनाएंगे. इतना ही नहीं ग्रामीणों से हर शौचालय बनाने के एवज में दो हजार रुपए भी लिए गए. दो हजार रुपए लोने के बाद ग्रामीणों को अपनी मर्जी से प्रधान ने मटेरियल दिया. ग्रामीणों ने दावा किया कि शिकायत के बाद भी आरोपी प्रधान के खिलाफ किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं की गई है.
12 हजार रुपए नहीं दिए गए कई ऐसे भी परिवार भी हैं जो पात्र तो हैं लेकिन उनके यहां शौचालय नहीं बनवाए गए. जबकि, दावा ये किया गया है कि प्रधान ने सेकेटरी से मिलीभगत कर गांव में कई अपात्रों के यहां भी शौचालय बनवा दिए हैं. वही, ग्रामीणों ने प्रधान पर आरोप लगाया कि सभी पात्रों से प्रधान ने दो हजार रुपए लिए और अपनी मर्जी से ईंट, रेता, सीमेंट और अपने ही मिस्त्री से शौचालय बनवा दिया गया. किसी भी पात्र को 12 हजार रुपए नहीं दिए गए.
सख्त कार्रवाई की जाएगी इस पूरे मामले को लेकर बुलंदशहर के डीपीआरओ ने दावा किया कि मामला सज्ञान में आया है. संबंधित अधिकारियों को गांव भेजकर मामले की जांच कराई जाएगी और जांच में जो दोषी पाया गया उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. डीपीआरओ साहब जांच कराने का दम तो जरूर भर रहे हैं, लेकिन सवाल ये कि आखिर अब तक इन शौचालयों की जांच क्यों नहीं कराई गई.
यह भी पढ़ें: