उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव के पहले चरण की वोटिंग के बाद अब दूसरे दौर का मतदान होना है। इस चरण में 8 लोकसभा की सीटों पर 18 अप्रैल को वोट डाले जाएंगे। इस दौर में नगीना, बुलंदशहर, आगरा और हाथरस सुरक्षित सीट हैं। इसके अलावा अमरोहा, अलीगढ़, मथुरा और फतेहपुर सीकरी सीट शामिल हैं। हम आपको बताते हैं बुलंदशहर लोकसभा सीट के बारे में वो सारी बातें जो आप जानना चाहेंगे।


बुलंदशहर में घटी किसी भी घटना का असर पूरे उत्तर प्रदेश में नजर आता है। 2019 में यह सीट सभी सियासी दलों के लिए बेहद अहम साबित होने वाली है। हाल में यहां गोहत्या के विवाद में हिंसा भड़क उठी थी जिसकी आंच पूरे देश में नजर आई थी। यह मामला मीडिया में भी सुर्खियां बना था। फिलहाल यह सीट बीजेपी के कब्जे में है और भोला सिंह ने 2014 के लोकसभा चुनाव में यहां जीत हासिल की थी। बुलंदशहर भी सुरक्षित सीट है।

सियासी उतार चढ़ाव वाली बुलंद शहर की सीट

बुलंदशहर लोकसभा सीट कभी कांग्रेस का गढ़ थी। 1952 से लेकर 1971 तक यहां हुए पांच चुनावों में कांग्रेस ने लगातार जीत दर्ज की। 1971 के बाद से कांग्रेस यहां कमजोर होती गई और मतदाताओं ने अलग-अलग पार्टियों को तरजीह दी। 1977 में भारतीय लोक दल, 1980 में जनता दल ने यहां कांग्रेस को करारी मात दी थी। 1984 के चुनाव में कांग्रेस ने यहां फिर वापसी की। 1989 के बाद से कांग्रेस वापसी के लिए तरस रही है। 1991 से लेकर 2004 तक लगातार पांच बार भारतीय जनता पार्टी ने यहां चुनाव जीता। 1991 से 1999 तक बीजेपी के छतरपाल सिंह ने अपना दबदबा इस सीट पर बनाए रखा। 2009 में यहां समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार ने बड़ी जीत दर्ज की, लेकिन 2014 में उत्तर प्रदेश में चली मोदी लहर का असर यहां भी दिखा।

सियासी समीकरण

2014 में हुए लोकसभा चुनाव के आधार पर यहां कुल 17 लाख से अधिक वोटर हैं। इनमें 9 लाख से अधिक पुरुष और करीब 8 लाख महिला वोटर हैं। बुलंदशहर जिले में करीब 77 फीसदी हिंदू जनसंख्या और 22 फीसदी मुस्लिम जनसंख्या हैं। बुलंदशहर लोकसभा के अंतर्गत कुल 5 विधानसभा सीटें आती हैं। इनमें अनूपशहर, बुलंदशहर, डिबाई, शिकारपुर और स्याना विधानसभा सीटें शामिल हैं। 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में ये सभी पांच सीटें भारतीय जनता पार्टी के खाते में गई थीं।

2014 में कैसा था जनादेश?

2014 के लोकसभा चुनाव में पूरे उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी का जादू चला था। बुलंदशहर में भी बीजेपी के भोला सिंह को प्रचंड जीत हासिल की थी। 2014 के चुनाव में भोला सिंह को करीब 60 फीसदी वोट मिले थे, कुल पड़े 10 लाख वोटों में से उन्हें करीब 6 लाख वोट मिले थे।

जबकि उनके सामने दूसरे खड़े बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी प्रदीप कुमार जाटव को मात्र 1 लाख 82 हजार वोट मिल पाए थे। 2014 के चुनाव में यहां सिर्फ 58 फीसदी मतदान हुआ था, इसमें से भी करीब 7000 वोट NOTA में डाले गए थे।

कौन हैं भोला सिंह
भोला सिंह अपने बयानों के कारण चर्चा में रह चुके हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज कर वह पहली बार सांसद बने थे। 2019 के लोकसभा चुनाव में भी भाजपा ने भोला सिंह को प्रत्याशी बनाया है।

क्या हैं प्रमुख मुद्दे

- खुर्जा के पॉटरी उद्योग को सरकारी संरक्षण की दरकार
- उच्च शिक्षा संस्थानों की बेहद कमी
- बदहाल स्वास्थ्य सेवा को पटरी पर लाना
- भूमि अधिग्रहण व मुआवजा प्रकरण को सुलझाना
- किसानों की उपज बिक्री के लिए बाजार की दरकार