Mahoba Political Equation: बुंदेलखंड का महोबा जनपद दो विधानसभा को मिलाकर बना है. चरखारी (Charkhari) और सदर महोबा विधानसभा (Mahoba Sadar Seat) इस जनपद में शामिल हैं. फिलहाल दोनों ही में बीजेपी (BJP) का कब्जा है. यहां पलायन, बेरोजगारी, शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल और बर्बाद हो रहे क्रेशर उद्योग अहम मुद्दा हैं. बीजेपी ने यहां से अपने वर्तमान विधायक राकेश गोस्वामी (Rakesh Goswami) को मैदान में उतारा है जबकि सपा से मनोज तिवारी (Manoj Tiwari), कांग्रेस से सागर सिंह (Sagar Singh) और बीएसपी से संजय साहू (Sanjay Sahu) चुनावी मैदान में है. महोबा सदर सीट बीजेपी, सपा और बसपा के बीच त्रिकोणीय मुकाबला नजर आ रहा है.
महोबा सदर सीट का इतिहास
बुंदेलखंड का महोबा जनपद वीरों की धरती के नाम से प्रसिद्ध है. यहां के वीर योद्धा आल्हा और उदल को कौन नहीं जानता, जिनकी वीर गाथा का इतिहास गवाह रहा है. इसके साथ ही महोबा का देशावरी पान भी खूब मशहूर है जिसकी तारीफ खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की है. सियासी लिहाज से महोबा को जाने तो 1995 में सपा सरकार के समय मुलायम सिंह ने हमीरपुर जनपद से महोबा को अलग कर नया जिला बनाया था. महोबा के जिला बनने की कहानी भी बड़ी रोचक है. 1995 में यहाँ से निर्दलीय विधायक बने अरिमर्दन सिंह नाना ने जब सपा को अपना समर्थन दिया तो मुलायम सिंह ने उन्हें मंत्री पद की पेशकश की थी मगर अरिमर्दन सिंह ने मंत्री पद न लेकर मुलायम सिंह यादव से महोबा को जिला बनाये जाने की मांग कर दी जिस पर मुलायम सिंह यादव ने महोबा को जिला बनाने का वादा कर दिया और 11 फरवरी 1995 को हमीरपुर जनपद से महोबा को अलग कर जिला बना दिया गया.
महोबा की ऐसी है राजनीति
बीजेपी सरकार में महोबा सदर विधानसभा से राकेश गोस्वामी विधायक है. महोबा विधानसभा सीट से 2017 के चुनावों में बीजेपी के राकेश गोस्वामी ने सपा के सिद्धगोपाल साहू को पराजित कर जीत हासिल की थी. जबकि बीएसपी के अरिमर्दन सिंह तीसरे स्थान पर रहे थे. इसके पहले के तीन चुनावों में से दो चुनावों में बीएसपी व एक बार सपा को जीत हासिल हुई थी. वर्तमान बीजेपी विधायक राकेश गोस्वामी इसके पूर्व भी 2007 में बीएसपी के टिकट से जीत हासिल कर चुके है. वैसे तो राकेश गोस्वामी इस शहर के विकास के लिए अपने कई काम गिनाते हैं लेकिन महोबा की जनता इसे नाकाफी मानती है. लोगों का कहना है कि यहाँ का सबसे बड़ा व्यवसाय क्रेशर उद्योग धीरे-धीरे बर्बाद हो रहा है. कर्ज से व्यापारी परेशान हैं. वो इसके लिए सरकार की गलत खनन नीतियों को जिम्मेदार मानते हैं.
यहां के सबसे बड़े मुद्दे
इसके अलावा यहां पर स्वास्थ्य भी एक बड़ा मुद्दा है. यहां काफी समय से 200 बेड के ट्रामा सेंटर की मांग हो रही है. लोगों का कहना है कि यहां मरीजों को सही इलाज नहीं मिल पा रहा. इसके अलावा पानी, बेरोजगारी, शिक्षा और स्वास्थय के मुद्दे भी है. हालत ये है कि सरकारी अस्पताल में डॉक्टरों की कमी है तो वहीं पीने के पानी के लिए आज भी लोग परेशान हैं. सूखा और आपदाओं की वजह से यहां पलायन भी बड़ा मुद्दा है.
महोबा पर त्रिकोणीय मुकाबला
विधानसभा चुनाव की बात करें तो इस बार बीजेपी प्रत्याशी की जीत की डगर आसान नहीं है. बीजेपी प्रत्याशी राकेश गोस्वामी ब्राह्मण जाति से आते है तो वहीँ सपा ने इनके मुकाबले में कांग्रेस छोड़कर आये मनोज तिवारी को मैदान में उतारा है. बसपा ने सपा सरकार में मंत्री सिद्धगोपाल साहू के भाई संजय साहू को टिकट दिया है. जिससे इस सीट का मुकाबला अब त्रिकोणीय हो गया है. वहीं कांग्रेस ने ठाकुर जाति से पूर्व एमएलसी जयवंत सिंह के पुत्र सागर सिंह को अपना उम्मीदवार बनाया है. चलिए आपको इस सीट का समीकरण समझाते हैं.
महोबा सदर सीट
कुल मतदाता:- 309532
पुरुष मतदाता:- 168846
महिला मतदाता:- 140679
थर्ड जेंडर मतदाता:- 07
महोबा सीट पर जातीय समीकरण
ठाकुर - 18 हजार
चमार - 60 हजार
ब्राह्मण -18 हजार
बनिया- 12 हजार
यादव- 15 हजार
कुर्मी- 1500
लोध- 9 हजार
कुम्हार- 12 हजार
कुशवाहा- 25 हजार
गडरिया- 4 हजार
तेली- 7 हजार
सुनार- 5 हजार
नाई सेन- 1500
विश्कर्मा- 2000
चौरसिया- 5 हजार
महतर- 8 हजार
कोरी- 5 हजार
धोबी- 3 हजार
कहार- 5 हजार
मुसलमान- 18 हजार
महोबा सीट से अब तक के विधायक
1952- मुन्नीलाल गुरुदेव- कांग्रेस
1957- बाबू ब्रजगोपाल- कांग्रेस
1962- मदनपाल सिंह- प्रजा सोसलिस्ट पार्टी
1967- जोरावर - जनसंघ
1969- मोहनलाल- कांग्रेस
1974- चनदरनारायण- कांग्रेस
1977- उदित नारायण शर्मा- जनता पार्टी
1980- बाबूलाल तिवारी- निर्दलीय
1985- बाबूलाल तिवारी- कांग्रेस
1989- बाबूलाल तिवारी- कांग्रेस
1991- छोटेलाल मिश्रा- भाजपा
1993- अरिमर्दन सिंह- सपा
2002- सिद्धगोपाल साहू- सपा
2007- राकेश गोस्वामी- बसपा
2012- राजनारायण बुधोलिया - बसपा
2017- राकेश गोस्वामी- भाजपा
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