बूंदी: पिछले 6 महीनों से रूस में मृत उदयपुर जिले के निवासी हितेंद्र गरासिया का परिवार उनका शव भारत लाने के लिए संघर्ष कर रहा है. हाल ही में उनके परिवार ने कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी से मुलाकात की.बता दें कि प्रियंका गांधी ने हितेंद्र की बेटी उर्वशी, धर्मपत्नी आशा गरासिया और पुत्र पीयूष को मिलने के लिए अपने घर बुलाया. उन्होंने इस मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर भारत सरकार से हितेंद्र गरासिया का शव पीड़ित परिवार के पास पहुंचाने की मांग की है.


बेटी अपने पिता को आखरी बार देखना चाहती है - प्रियंका


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे पत्र में प्रियंका गांधी ने कहा कि मानवीय संवेदनाओं से जुड़े हुये इस गंभीर मामले में भारत सरकार कार्रवाई करते हुये स्वर्गीय हितेंद्र गरासिया की दिवंगत देह को रूस से सम्मानजनक दाह संस्कार के लिये भारत पीड़ित परिवार के पास पहुंचाना सुनिश्चित करवाये. प्रियंका गांधी ने ये भी कहा कि स्व. हितेंद्र गरासिया की बेटी उर्वशी ने इस मामले में बड़ी हिम्मत करके आप के कार्यालय में भी गुहार लगायी है. वो आखिरी बार अपने पिता को देखना चाहती है. गौरतलब है कि पिछले दिनों कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी इस अमानवीय घटनाक्रम की जानकारी मिलने पर दुखी हो उठी और उन्होंने स्व.हितेंद्र गरासिया के परिवार को अपने घर पर ही बुलवा लिया. स्व.हितेंद्र गरासिया की धर्मपत्नी आशा गरासिया, पुत्री उर्वशी,पुत्र पीयूष व दिवंगत देह को परिवार के पास भारत लाने की मुहिम चला रहे बूंदी के कांग्रेस नेता चर्मेश शर्मा को लेकर स्वयं अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के राष्ट्रीय सचिव व यूपी सहप्रभारी धीरज गुर्जर प्रियंका गांधी के आवास पर पहुंचे. धीरज गुर्जर ने ही प्रियंका गांधी को इस मामले की जानकारी थी.


प्रियंका गांधी के सीने से लगकर रोने लगी बेटी


छह महीने से अपने पिता का शव रूस से नहीं आने से दुखी स्व.हितेंद्र गरासिया की बेटी उर्वशी प्रियंका गांधी को देखते ही भावुक होकर रोने लगी. प्रियंका गांधी ने उर्वशी को अपनी गोद में बैठाया और सीने से लगा लिया. हितेंद्र के बेटे पीयूष ने कहा कि प्रियंका गांधी कहने को तो हमे हौसला बंधा रही थी लेकिन उर्वशी को सीने से लगाकर उनकी खुद की आंखे भी नम हो रही थी और उनकी भीगी हुयी पलकें आसानी से देखी जा सकती थी.


मैं भी 19 वर्ष की थी तब पिता नहीं रहे


स्व.हितेंद्र गरासिया की रोती हुई बेटी को देखकर प्रियंका गांधी को एक बेटी के रुप में अपने पिता को खोने का दर्द याद आ गया. कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी ने उर्वशी को अपने सीने से लगाकर ढांढस बंधाते हुये कहा कि एक बेटी के लिये पिता की क्या अहमियत होती है, वो खुद अच्छी तरह समझती है. प्रियंका गांधी ने कहा कि वो भी 19 साल की थी तब उनके पिता की भी म्रत्यु हो गयी थी. लेकिन बेटा अब अपने आप को संभालना पड़ेगा, हौसला रखना पड़ेगा.


आप पापा की डेड बॉडी मंगवा दीजिये


वहीं जब प्रियंका गांधी ने उर्वशी को हौसला बंधाया और मदद का भरोसा दिलाया तब उर्वशी ने उनसे कहा कि आप तो मेरे पापा की डेड बॉडी मंगवा दीजिये. प्रधानमंत्री कार्यालय और विदेश मंत्रालय में हमारे परिवार की कोई सुनवायी नहीं हुयी और पापा को रूस में ही कब्र में दफना दिया. इतना कहकर स्व.हितेंद्र गरासिया की बेटी उर्वशी फिर फूट फूटकर रोने लगी. इस पर प्रियंका गांधी ने फिर उर्वशी को भरोसा दिलाते हुए कहा कि चिंता मत करो तुम्हारे पापा की डेड बॉडी जरूर भारत आयेगी. प्रियंका गांधी ने स्व.हितेंद्र के पुत्र पीयूष से पूछा कि छह महीने से परिवार का खर्च कैसे चल रहा है. कौन मदद कर रहा है. उन्होंने दोनों बच्चों की शिक्षा के बारे में भी जानकारी ली और कहा कि सबसे पहले हितेंद्र जी की दिवंगत देह भारत आ जाये और विधिवत अंतिम संस्कार हो जाये. उसके बाद दोनों बच्चों को अच्छी तरह पढ़ाना लिखाना है.


100 दिनों से दिन रात हमारी मदद में जुटे है चर्मेश


हितेंद्र गरासिया के परिवार ने कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी को बताया कि बूंदी के कांग्रेस नेता चर्मेश शर्मा के द्वारा राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग में केस दर्ज करवाने और राष्ट्रपति सचिवालय से लेकर जंतर मंतर तक आवाज उठाने के लगातार संघर्ष से ही दिवंगत देह के भारत आने की उम्मीद आज तक जिंदा है. हितेंद्र गरासिया के पुत्र पीयूष ने कहा कि पिछले 100 दिनों से अधिक वक्त से चर्मेश शर्मा सब काम छोड़कर दिन रात हमारी मदद के लिए जुटे हुये हैं. शर्मा की सलाह और सहयोग से ही उन्होंने राजस्थान उच्च न्यायालय जोधपुर में न्याय के लिये दरवाजा खटखटाया है.


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