Uttarakhand Election 2022: मसूरी विधानसभा सीट पर कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी की मजबूत पकड़, कांग्रेस को करनी होगी मेहनत
Uttarakhand Election 2022: मसूरी विधानसभा सीट पर जनसम्पर्क और नेतृत्व के कारण बीजेपी की पकड़ को मजबूत बना रखा है. वहीं कांग्रेस को यहां पर अपना अस्तित्व तलाशने में समय लग सकता है.
Uttarakhand Election 2022: मसूरी विधानसभा सीट से कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी विधायक हैं. मसूरी विधानसभा सीट का रोमांचक इतिहास है. पिछले चार चुनावों में इस सीट से लगातार 2 बार कांग्रेस और 2 बार बीजेपी काबिज रही. साल 2000 में उत्तराखंड राज्य बनने के बाद साल 2002 के पहले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के जोत सिंह गुनसोला ने बीजेपी के नारायण सिंह को भारी मतों से शिकस्त दी.
वहीं साल 2007 में बीजेपी ने सहदेव सिंह पुंडीर को टिकट दिया. दोनों ही पहाड़ी क्षेत्रों से आये हुए उम्मीदवार थे, जिसके बाद बीजेपी और कांग्रेस में कड़ी टक्कर हुई. आखिरी बाजी जोत सिंह गुनसोला ने मार ली. साल 2008 में नए परिसीमन के बाद दून शहर का एक हिस्सा भी मसूरी सीट से जुड़ गया. इससे इस सीट के भूगोल में पहाड़ और मैदान दोनों ही क्षेत्र आ गए. मसूरी सीट में कैंट समेत कई वीवीआईपी इलाके आते हैं. साथ ही इस क्षेत्र में 6 हज़ार सैन्य परिवार हैं.
कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी की मजबूत पकड़
साल 2012 के चुनावों में बीजेपी ने गणेश जोशी को मसूरी विधानसभा सीट से टिकट दिया. वहीं कांग्रेस ने अपने सिटिंग विधायक जोत सिंह गुनसोला पर ही दांव खेला. जनता ने गणेश जोशी पर भरोसा जताया और भारी मतों से जोशी ने जीत हासिल की. इसके बाद 2017 में बीजेपी से विधायक गणेश जोशी के सामने कांग्रेस से गोदावरी थापली ने परचा भरा. मजबूत जनसम्पर्क और नेतृत्व ने गणेश जोशी का पलड़ा भारी रखा और जोशी ने भारी मतों से जीत हासिल की.
मसूरी विधानसभा सीट पर मतदाताओं की बात करें, तो मसूरी विधानसभा में कुल मतदाताओं की संख्या 1 लाख 28 हजार 384 है. जिसमें पुरुष 67 हजार 776 तो महिला मतदाताओं की संख्या 60 हजरा 608 है.
विधानसभा की पांच बड़ी समस्याएं
1. ट्रैफिक जाम
2. क्षेत्र के कई हिस्सों में पेयजल समस्या
3. स्वास्थ्य सेवाओं की बेहाली
4. कई क्षेत्रों में संपर्क मार्गों की खस्ताहाल स्थिति
5. सड़क और नाली की समस्याएं
मसूरी विधानसभा सीट पर गणेश जोशी की मजबूत पकड़ दिख रही है. कांग्रेस का नेतृत्व यहां लगातार कमजोर दिख रहा है. जोत सिंह गुनसोला के अगुवाई में कांग्रेस को मिलने वाली मजबूत पकड़ अब नहीं रही. पिछले चुनाव में रही कांग्रेस की प्रत्याशी गोदावरी थापली की सक्रियता क्षेत्र में है, लेकिन वह अपना जनाधार बढ़ाने में उतनी कामयाब होती नहीं दिख रही हैं. जातीय और क्षेत्रीय समीकरण भी जोशी का पलड़ा भारी बनाते नजर आ रहे हैं.
जोशी को सबसे बड़ा फायदा कैबिनेट में मंत्री पद से मिल सकता है. उनका सियासी कद मंत्री बनने से बढ़ा है, जबकि विरोधियों के पास उनको पस्त करने के लिए कोई बड़ा मुद्दा भी नजर नहीं आ रहा. ऐसे में कांग्रेस के लिए राह मुश्किलों भरी दिख रही है. कांग्रेस को ग्राउंड पर और पसीना बहाना पड़ेगा.
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