लखनऊ, एबीपी गंगा। भ्रष्टाचार के मामले पर यूपी सरकार सरकार ने बडी कार्रवाई करते हुए रविवार को सीएम योगी ने ऊर्जा विभाग में 45000 कर्मचारियों के 2268 करोड़ रुपए के पीएफ घोटाले मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी है। इस संबंध में सीएम ने सीबीआई जांच कराने का पत्र केंद्र सरकार को भेज दिया है, साथ ही पूरे मामले की जांच डीजी ईओडब्ल्यू करेंगे।


यूपी के ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने यूपीसीएल (उत्तर प्रदेश पावर कार्पोरेशन लिमिटेड) में कर्मचारियों के भविष्य निधि के निवेश में हुए भ्रष्टाचार पर प्रेस कांफ्रेंस करते हुए कहा कि फाइनेंस कंपनियों में निवेश का निर्णय एक दिन में नहीं लिया गया। इसकी पटकथा 2014 में सपा राज में लिखी गई थी। मामले में ईडी भी जांच करेगी। उन्होंने कहा कि 21 अप्रैल 2014 को हुई ट्रस्ट बोर्ड की बैठक में यह निर्णय लिया गया था कि बैंक से इतर अधिक ब्याज देने वाली संस्थाओं में भी निवेश किया जा सकता है। इसी फैसले को आधार बनाकर हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों में निवेश की प्रक्रिया दिसंबर 2016 में प्रारंभ की गई।



श्रीकांत शर्मा ने बताया कि दीवान हाउसिंग फाइनेंस कंपनी लिमिटेड (DHFL) में निवेश 17 मार्च 2017 से प्रारंभ किया गया। अनियमितता के संबंध में 10 जुलाई 2019 को पॉवर कारपोरेशन के अध्यक्ष को शिकायत प्राप्त हुई थी। जिस पर 12 जुलाई 2019 को निदेशक वित्त की अध्यक्षता में जांच के आदेश दिये गए। मामले पर जांच समिति ने 29 अगस्त 2019 को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की।



इस मुद्दे पर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी व सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सरकार को घेरते हुए सवाल भी उठाए हैं। मिली जानकारी के मुताबिक पंजाब एंड महाराष्ट्र कोऑपरेटिव बैंक का घोटाला सामने आने के बाद यह बात खुली की इस बैंक से डीएचएफएल का भी जुड़ाव रहा है।



ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने कहा कि 'डीएचएफएल में कर्मचारियों की भविष्य निधि के निवेश का मामला गंभीर है और इसमें जो भी दोषी होगा उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। यूपीपीसीएल के सभी कार्मिक मेरे परिवार के सदस्य हैं, किसी का कोई अहित न हो सरकार यह सुनिश्चित करेगी।


इससे पहले शनिवार को यूपीपीसीएल कर्मियों का पीएफ डीएचएफएल में जमा कराने वाले तत्कालीन निदेशक वित्त सुधांशु द्विवेदी और महानिदेशक पीके गुप्ता के खिलाफ न सिर्फ एफआईआर दर्ज कराई गई, बल्कि पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है।



गौरतलब है कि, बिजली कर्मियों के करीब 2631 करोड़ रुपये के प्राविडेंट फंड (PF) को निजी कंपनी डीएचएफसीएल (DHFCL) में जमा कर दिया गया। अखिलेश सरकार के दौरान बिजली कर्मियों के पीएफ को निजी कंपनी में लगाने का ये फैसला 2014 में लिया गया था। इसी साल मामले में खुलासा हुआ और पता चला कि मार्च 2017 से दिसंबर 2018 तक 2631.20 करोड़ का पीएफ निजी कंपनी (DHFCL) में हुआ। इस खुलासे के बाद ऊर्जा विभाग ने कार्रवाई करते हुए 10 अक्टूबर को तत्कालीन जीएम वित्त एवं लेखा पीके गुप्ता को निलंबित कर दिया था।