लखनऊ, शैलेश अरोड़ा। रोडवेज बसों के एक्सीडेंट में अक्सर ही ड्राईवर की लापरवाही सामने आती है। ड्राईवर लापरवाही न करें और सुरक्षित तरीके से बस चलायें इसके लिए UPSRTC ने बसों में CCTV कैमरे लगवाने का फैसला लिया है। बसों में एक कैमरा आगे और एक पीछे लगाया जायेगा। पहले चरण में 3 रूट की 680 बसों में 1400 CCTV कैमरे लगवाये जायेंगे।


सर्वाधिक एक्सीडेंट वाले तीन रूट की बसों से शुरुआत
UPSRTC के एमडी राजशेखर ने बताया की पहले चरण में CCTV कैमरे लगाने की कार्रवाई सितम्बर से मार्च 2020 तक चलेगी। इसके लिए UPSRTC ने तीन ऐसे रूट चिन्हित किये हैं जहां एक्सीडेंट का सर्वाधिक खतरा रहता है। इन्हीं रूट पर बसों के सबसे अधिक दुर्घटनाओं के मामले सामने आते हैं। इनमे लखनऊ से दिल्ली वाया बरेली, लखनऊ से दिल्ली वाया आगरा एक्सप्रेस वे और लखनऊ से गोरखपुर वाया अयोध्या के रूट पर चलने वाली बसों में CCTV कैमरे लगेंगे।


बस एक्सीडेंट के चलते सालाना 50 करोड़ तक हर्जाना देता है UPSRTC
CCTV कैमरे लगवाने का फैसला करने से पहले एमडी राजशेखर ने सालाना होने वाले एक्सीडेंट्स, इसमें जाने वाली जान और UPSRTC की प्रॉपर्टी के नुकसान का रिव्यु किया। इसमें सामने आया की UPSRTC को सालाना कंपनसेशन और कोर्ट क्लेम्स में 40 से 50 करोड़ रुपये खर्च करने पड़ते हैं। कई बार सबूत के आभाव में UPSRTC को फर्जी दावों पर भी हर्जाना देना पड़ता है।



पायलट प्रोजेक्ट की रिपोर्ट के आधार पर CCTV कैमरे लगाने का फैसला
एमडी राजशेखर ने बताया की UPSRTC का प्रयास प्रिवेंटिव मेजर्स से दुर्घटनाओं में कमी लाने का है। कई मामलों में हाई कोर्ट भी CCTV कैमरे लगवाने के लिए बोल चुका है। असल में UPSRTC ने पायलट प्रोजेक्ट के तहत मई 2019 में 4 बसों में CCTV कैमरे लगवाए थे। पायलट प्रोजेक्ट में CCTV कैमरों की फुटेज के आधार पर रिपोर्ट तैयार की गई। इस रिपोर्ट के आधार पर सभी बसों में CCTV कैमरे लगाने का फैसला लिया गया है। जिन बसों में CCTV कैमरे लगे थे उनके ड्राईवर अधिक सावधानी से और सुरक्षित बस चलाते मिले। इसके अलावा ये भी सामने आया की ड्राईवर कहां-कहां लापरवाही करते हैं।