लखनऊ, एबीपी गंगा। उत्तर प्रदेश पुलिस को अपने सब इंस्पेक्टर के खाली पदों पर योग्य अभ्यर्थी नहीं मिल रहे हैं। यही वजह है कि अब भर्ती परीक्षा में थर्ड डिवीजन नंबर लाने वाले भी पास कर दिए जाएंगे। यानी जो पढ़ाई में फिसड्डी होंगे उन युवाओं को भी उत्तर प्रदेश पुलिस में दारोगा बना दिया जाएगा। उत्तर प्रदेश पुलिस की सीधी भर्ती परीक्षा में संशोधन कर अब भर्ती परीक्षा में 50 फीसदी के बजाए 35 फीसदी नंबर लाने वाले भी दरोगा बना दिए जाएंगे।


बेहतर पुलिसिंग और कानून व्यवस्था के नाम पर उत्तर प्रदेश पुलिस अब क्वालिटी से कंप्रोमाइज करने जा रही है। पुलिसिंग में जिस किरदार की सबसे ज्यादा अहमियत होती है वह सब इंस्पेक्टर या दरोगा होता है। दरोगा ही किसी भी घटना पर सबसे पहले पहुंचने वाला जिम्मेदार अफसर होता है। दारोगा ही पीड़ित से सबसे पहले मिलने वाला खाकीधारी होता है। ऐसे में अगर दारोगा भर्ती मानकों में ढिलाई बरती जाए या यूं कहें कि कम पढ़े लिखे युवाओं को भर्ती की मजबूरी आ जाए तो पुलिसिंग का बदहाल होना तय है। देश के सबसे बड़े राज्य की सबसे बड़ी पुलिस फोर्स में सब इंस्पेक्टर भर्ती परीक्षा में कुछ ऐसा ही होने जा रहा है।


अब तक दारोगा सीधी भर्ती परीक्षा में अभ्यर्थी को 50 फीसदी नंबर लाने पर ही पास माना जाता था। लेकिन 50 फीसदी नंबर लाने वाले अभ्यर्थी उत्तर प्रदेश पुलिस को मिल नहीं रहे। यही वजह है कि उसने 50 फीसदी अंक लाने का मानक बदलकर 35 फीसदी कर दिया है। यानी दारोगा सीधी भर्ती परीक्षा के चार विषयों में अब कोई 35 फीसदी अंक भी लाएगा तो भी दारोगा बन जाएगा। दारोगा भर्ती में थर्ड डिवीजन लड़के को दारोगा बनाने की इस मजबूरी पर जब सूबे के उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा से सवाल किया गया तो उनका जवाब था कि बेहतर कानून व्यवस्था और पुलिसिंग के लिए जो भी करना पड़ेगा,वो सब कुछ किया जाएगा।


बेहतर कानून व्यवस्था, पुलिसिंग के नाम पर भले ही सरकार ने थर्ड डिवीजन पास होने वाले युवाओं को दारोगा बनाने का फैसला लिया हो लेकिन यहां सवाल इस बात का है कि थर्ड डिवीजन युवा जब दारोगा बनेगा तो वह बायोलॉजिकल अटैक, साइबर क्राइम जैसे तकनीकी अपराध वाले विषयों पर कैसे विवेचना करेगा।