Muzaffarnagar Sugal mill News: उत्तर प्रदेश में भले ही गन्ना भुगतान को लेकर किसान आंदोलन पर उतारू हो और सरकार रिकॉर्ड गन्ना भुगतान करने का दावा कर रही हो लेकिन जनपद में आज उस समय एक बड़ा खुलासा हुआ है, जब भारतीय किसान यूनियन के पदाधिकारियों ने थाना भोपा क्षेत्र के मोरना स्थित द गंगा सहकारी शुगर मिल के गोदाम को खुलवाया तो वहां करोड़ों रुपए की चीनी पाई गई, जिसमें अधिकांश चीनी खराब और सड़ी हुई हालत में थी. ऐसे में भले ही चीनी मिल के अधिकारी अपनी सफाई पेश कर रहे हो, मगर इसमें या तो चीनी मिल अधिकारियों की लापरवाही है या फिर सरकार के द्वारा बनाए गए कानून चीनी मिल और किसानों के बकाया गन्ना भुगतान के आड़े आ रहे हों.
मोरना शूगर मिल पर किसानों का करोड़ों रुपये बकाया
गौरतलब है कि मोरना शुगर मिल पर किसानों का करोड़ों रुपया बकाया है. वहीं, चीनी मिल के गोदाम में करोड़ों रुपए की चीनी 2018 से लेकर 2021 तक भरी पड़ी है, मगर सरकार इसे बेचने को तैयार नहीं है. जनपद मुजफ्फरनगर में बजाज शुगर मिल को छोड़कर अन्य कई फैक्ट्रियां अपना भुगतान कर चुकी हैं. जिसमें मोरना शुगर मिल पर भी किसानों का करोड़ों रुपए बकाया है. यहां प्राइवेट फैक्ट्रियां चीनी बैठकर किसानों का भुगतान कर रही हैं, तो वहीं द गंगा सहकारी शुगर मिल मोरना के अधिकारी गोदाम में लगी चीनी को बेचने को तैयार नहीं हैं.
क्यों नहीं बेची गई चीनी
ऐसे में जाहिर है कि, गन्ना भुगतान की समस्या तो आएगी ही, गोदाम में भरी चीनी की सूचना जैसे ही भारतीय किसान यूनियन के मोरना क्षेत्र के पदाधिकारियों को लगी तो भारतीय किसान यूनियन के नेताओं ने शुगर मिल में पहुंचकर मिल अधिकारियों से बातचीत के बाद गोदाम खुलवा तो उनकी आंखें फटी की फटी रह गई. गोदाम में अधिकांश चीनी सड़ी हुई हालत में पाई गई. खुद शुगर मिल का अधिकारी इस बात को स्वीकार कर रहे हैं कि, चीनी केवल बनाने के 2 वर्ष तक खाने योग्य रह सकती है, मगर यहां तो 2018 से अब तक की चीनी गोदाम में भरी पड़ी है.
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