मटर पनीर का बिल मांगने पर ढाबा मालिक समेत 10 लोगों को फर्जी मुठभेड़ में फंसाया, केस दर्ज
एटा में फर्जी मुठभेड़ के मामले में चार पुलिसकर्मियों को निलंबित किया गया है. दो आरोपी पुलिसकर्मी मामले में फरार चल रहे हैं.
एटा. यूपी में आए दिन बदमाशों के एनकाउंटर की खबरें आती रहती हैं. बीते दिनों एटा में भी एक एनकाउंटर का दावा कर पुलिस अपनी पीठ थपथपा रही थी, लेकिन ये एनकाउंटर फर्जी निकला. दरअसल, कुछ पुलिसकर्मियों ने खाने का बिल मांगने पर ढाबा संचालक और उसके भाई समेत स्टाफ के लोगों को फर्जी मुठभेड़ में गिरफ्तार कर उन्हें जेल भेज दिया था. जमानत पर छूटने के बाद कथित आरोपी ने मामले की शिकायत अधिकारियों से की तो पुलिसकर्मियों की साजिश का पता चला. जांच में मुठभेड़ फर्जी पाए जाने पर इंस्पेक्टर इंद्रेश पाल सिंह और तीन पुलिसकर्मियों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है.
फर्जी मुठभेड़ का ये मामला एटा की देहात कोतवाली का है. चार फरवरी को कासगंज रोड स्थित ढाबा संचालक प्रवीण उसके भाई पुष्पेंद्र समेत 10 लोगों को फर्जी मुठभेड़ में गिरफ्तार कर लिया गया था. उस दौरान इन्हें आर्म्स एक्ट, गांजा और अवैध शराब के कारोबार के आरोप में जेल भेज दिया गया था. जमानत पर छूटने के बाद प्रवीण ने आला अधिकारियों से पुलिस पर फर्जी मुठभेड़ में फंसाने का आरोप लगाते हुए शिकायत की थी.
जांच में हुआ पुलिस की साजिश का खुलासा एसएसपी सुनील कुमार सिंह ने एएसपी राहुल कुमार को जांच सौंपी तो परत दर परत फर्जी मुठभेड़ की कलई खुलती गई. पुलिस का दावा था कि कासगंज रोड पर जसराम गांव स्थित ढाबे में कुछ अपराधियों की मौजूदगी की सूचना मिली थी. यह बताया गया था कि ढाबे में मौजूद अपराधी किसी को लूटने की योजना बना रहे हैं. शाम को पुलिस की टीम ढाबे पर भेजी गई जहां से ढाबा संचालक प्रवीण उसके भाई पुष्पेंद्र और वहां खाना खा रहे 8 अन्य लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया.
बिल भुगतान को लेकर फूटा पुलिसकर्मियों का गुस्सा हालांकि, प्रवीण का कहना है कि 4 फरवरी की दोपहर दो हेड कांस्टेबल उसके ढाबे पर खाना खाने के लिए बाइक से आए थे. उन्होंने खाना खाने के बाद 100 रुपये दिए जबकि बिल 450 रुपये का था. बाकी रुपये के भुगतान के लिए कहने पर दोनों हेड कांस्टेबल गाली गलौज करने लगे और धमकी देते हुए चले गए. कुछ देर बाद पुलिस की तीन जीप से कई पुलिसवाले ढाबे पर आए और उन्हें पकड़कर थाने ले गए. वहां लूट की योजना बनाने के फर्जी आरोप में उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई और असलहे, गांजा और अवैध शराब की धारा लगाकर सभी को जेल भेज दिया गया. प्रवीण का कहना है कि उसे 40 दिन बाद जमानत मिली. इसके बाद उसने पुलिस अधिकारियों से मामले की शिकायत की. उसके स्टाफ के लोग व अन्य व्यक्ति अभी भी जेल में हैं.
इंस्पेक्टर समेत चार पुलिसकर्मी निलंबित एसएसपी सुनील कुमार सिंह ने बताया की इंस्पेक्टर इंद्रेश पाल सिंह को एक सप्ताह पहले निलंबित कर दिया गया था. उन्होंने बताया कि कोतवाली देहात में शराब तस्करों से बरामद करीब 35 लाख रुपये कीमत की शराब थाने से गायब हो गई थी. इस मामले में इंस्पेक्टर के अलावा हेड कांस्टेबल रिसाल सिंह के खिलाफ केस दर्ज किया गया था. दोनों को निलंबित कर दिया गया था, दोनों फरार हैं. फर्जी मुठभेड़ के मामले में सिपाही शैलेंद्र सिंह और सिपाही संतोष सिंह का नाम सामने आया है. उन्हें भी निलंबित कर दिया गया है.
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