(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
CBI ने एक बार फिर यादव सिंह को किया गिरफ्तार, पिछले साल मिली थी जमानत
CBI ने एक बार फिर नोएडा अथॉरिटी के पूर्व इंजीनियर यादव सिंह को गिरफ्तार कर लिया है। पिछले साल सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिली थी।
गाजियाबाद, एबीपी गंगा। भ्रष्टाचार के मामले में सीबीआई ने नोए़डा अथॉरिटी के पूर्व इंजीनियर यादव सिंह को एक बार फिर से गिरफ्तार कर लिया है। हाल ही में, यादव सिंह जमानत पर रिहा हुए थे। यादव सिंह पर भ्रष्टाचार के अलावा आय से अधिक संपत्ति समेत कई मामले चल रहे रहे हैं। बता दें कि यादव सिंह नोएडा अथॉरिटी के चीफ इंजीनियर रह चुके हैं।
पहली बार यादव सिंह के खिलाफ 2015 में जांच शुरू हुई थी। 2016-17 में सीबीआई ने उनके खिलाफ दो चार्जशीट तैयार की थीं। सीबीआई ने अपने आरोप पत्र में कहा था कि अप्रैल 2004 से चार अगस्त, 2015 के बीच यादव सिंह ने आय से अधिक 23.15 करोड़ रुपये जमा किए। ये उनकी आय के स्रोत से लगभग 512.6 प्रतिशत ज्यादा हैं। यादव सिंह पर पर कुल 954 करोड़ की धोखाधड़ी का भी आरोप लगा है। जनवरी 2018 में जब सीबीआई ने इस ममले की जांच शुरू की, जब वो नोएडा अथॉरिटी में बतौर चीफ इंजीनियर काम कर रहे थे।
सीबीआई के एक अधिकारी ने बताया कि जब यादव चीफ इंजीनियर थे, तब कुल 116.39 करोड़ का टेंडर 5 प्राइवेट फर्म्स को जारी हआ था। ये टेंडर फर्म्सगुल इंजीनरिंग, एसएमपी टेक्नोलॉजी, अबू इंफ्रा प्राइवेट लिमिटेड और संजय इलेक्ट्रॉनिक्स तथा शाकंभरी प्रोजेक्ट को दिए गए थे। सीबीआई इस मामले की भी जांच कर रही है।
ये भी आरोप लग रहे थे कि गुल इंजीनियरिंग के मालिक जावेद अहमद यादव सिंह के पुराने दोस्त हैं। इस कंपनी को नियमों का उल्लंघन करके टेंडर दिया गया था। आरोप है कि यादव व अथॉरिटी के अन्य अधिकारियों ने तमाम नियमों को ताक पर रखकर इस कंपनी को 31 ठेके दिए थे। इसके बदले डायरेक्टर जावेद अहमद ने यादव सिंह को बतौर रिश्वत एक इनोवा कार दी थी।
गौरतलब है कि पिछले साल अक्टूबर में आय से अधिक संपत्ति के एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने यादव सिंह को जमानत दे दी थी, लेकिन कोर्ट ने सीबीआई को ये छूट भी दी थी कि अगर इस दौरान यादव सिंह सबूतों के साथ छेड़छाड़ करते या फिर गवाहों को प्रभावित करने की कोशिश करते हैं, तो उनका जमानत रद्द हो सकती है। सीबीआई इसके लिए जमानत रद्द करने का आवेदन कर सकती है। दरअसल, सीबीआई ने यादव सिंह की जमानत पर ये कहकर आपत्ति जताई थी कि इस दौरान वो सबूतों के साथ छेड़छाड़ कर सकते हैं।
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