खनन घोटाले को लेकर जारी है सीबीआई की कार्रवाई, अखिलेश यादव तक पहुंच सकती है जांच की आंच
खनन घोटाले को लेकर सीबीआई की कार्रवाई जारी है। सीबीआई नेमौरंग के पट्टों को आधार बनाकर 11 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई है। अंदाजा लगाया जा सकता है कि अवैध खनन के खेल में अखिलेश यादव घिरते नजर आ रहे हैं।
हमीरपुर, एबीपी गंगा। हमीरपुर में सीबीआई जांच का आज पांचवा दिन है। अवैध खनन की जांच अब निर्णायक भूमिका पर पहुंचती जा रही है। पिछले दिनों में सीबीआई ने कई विभागों में छापेमारी कर जिले में हड़कंप मचा दिया है। इसी कड़ी में वन विभाग में भी सीबीआई ने छापा मारा और जरुरी दस्तावेजों को अपने साथ लेकर पूर्व डीएफओ को पेश होने को बुलाया है।
सीबीआई की जांच का दायरा बढ़ते हुए अब सपा सरकार और उसके मुखिया की ओर इंगित हो रहा है। सपा सरकार में रहे मंत्री, जिलाधिकारी और अन्य अधिकारियों के साथ-साथ सरकार के मुखिया पर उंगली उठ रही है। सीबीआई ने 63 पट्टो में जिन 14 मौरंग खनन के पट्टों को अवैध खनन का आधार बनाकर 11 लोगो पर एफआईआर दर्ज की वो पट्टे तब हुए थे जब अखिलेश यादव सीएम थे और खनिज विभाग का चार्ज भी उनके ही पास था। सीएम कार्यालय से ही इन 14 मौरंग खनन पट्टों को चलाने की मंजूरी मिली थी। ऐसे में अखिलेश यादव और अवैध खनन के तार जुड़ते नजर आ रहे हैं।
मामले में याचिकाकर्ता की मानें तो सपा सरकार के शुरुआती दौर में अखिलेश यादव खुद खनन विभाग की कमान संभाल रहे थे। जिस दौरान तत्कालीन डीएम पद पर तैनात आईएएस बी चन्द्रकला के द्वारा दिये गये 14 पट्टों की स्वीकृति खनन मंत्रालय से होकर हमीरपुर पहुंची थी। कहा तो ये भी जा रहा है की पूरे प्रदेश में सबसे पहले हमीरपुर के मौरंग खनन पट्टों की स्वीकृति की गयी थी। सीबीआई ने इन्हीं मौरंग के पट्टों को आधार बनाकर 11 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई है। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है की खुद इस अवैध खनन के खेल में अखिलेश यादव घिरते नजर आ रहे हैं।
सीबीआई ने एक्शन मोड़ में वन विभाग के कार्यालय में छापेमारी करते हुए डीएफओ नरेंद्र सिंह और एसडीओ संजय शर्मा से घंटो पूछताछ की की और वन क्षेत्र के नक्शे और उस दौरान जारी की गयी एनओसी का रजिस्टर कब्जे में लिया है। सीबीआई के वन विभाग में घुसते ही सभी के रोंगटे खड़े हो गये।
बेरी नर्सरी में तैनात सुरजीत सिंह से बेरी में हुये मौरंग खनन के खंडों के बारे में विस्तार से पूछताछ की गई। खनन घोटाले में वन विभाग की भी अहम भूमिका है क्योंकि बसपा शासनकाल में हाईकोर्ट ने बिना एनओसी वाले पट्टों पर रोक लगा दी थी। लेकिन, शासन ने कम क्षेत्र वाले पट्टों की एनओसी जारी करने की अनुमति डीएफओ को दे दी थी। इसी का फायदा उठाते हुये पूर्व डीएफओ ललित गिरी ने बड़े क्षेत्रों को छोटे-छोटे भागो में बांटकर मौरंग माफियाओं को एनओसी जारी कर दी थी। शुक्रवार को सीबीआई ने पूर्व डीएफओ ललित गिरी को पेश होने के लिए कहा है।
सपा शासन काल में हुए 9 सौ करोड़ के खनन घोटाले की जांच कर रही सीबीआई ने पूर्व आईएएस बी चंद्रकला समेत, सपा एमएलसी रमेश मिश्र, पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष संजय दीक्षित सहित 11 लोगों को मुख्य आरोपी बनाया है और 63 को इसमें वादी बनाया था। इस बार फिर उसने 78 खनन कार्य से जुड़े लोगों को नोटिस दिया है और उन्हें अपने समक्ष पेश होने के आदेश दिए हैं।
जुलाई 2012 के बाद जिले में 62 मौरंग खनन के पट्टे दिए थे। ई-टेंडर के जरिए मौरंग के पट्टे देने का था प्रावधान जिलाधिकारी पद पर रहते हुए सारे प्रावधानों की अनदेखी कर तत्कालीन जिलाधिकारी बी चन्द्रकला ने रमेश मिश्रा के साथ मिलकर जिले में जमकर अवैध खनन करवाया था, जिसके बाद 2015 में मौरंग के अवैध खनन पर हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर हुई थी इसके बाद 16 अक्टूबर 2015 को हाईकोर्ट ने सभी खनन पट्टे अवैध घोषित कर दिए थे। हालांकि इसके बाद भी अवैध खनन का काला कारोबार जारी रहा। अब एक बार फिर सीबीआई अवैध खन को लेकर अपनी जांच का दायरा बढ़ा दिया है जिसमें 2019 में चालू हुए 25 नये मौरंग पट्टों की भी जांच भी शामिल है।