लखनऊ, एबीपी गंगा। चुनावी घमासान के बीच चीनी मिलों के नाम पर यूपी से एक बड़ा घोटाला सामने आया है। इस घोटाले के तार यूपी की सत्ता पर काबिज पूर्व बसपा सरकार से जुड़ते नजर आ रहे हैं। माना जा रहा है कि इस घोटाले की खबर सामने आने के बाद बसपा सुप्रीमो मायावती की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।


सात लोगों को नामजद किया गया


सीबीआई ने वर्ष 2010-11 में कथित अनियमितताओं के एक मामले में एफआईआर दर्ज की है  जिसमें 7 सरकारी स्वामित्व वाली चीनी मिलों का विनिवेश किया गया था। इससे सरकारी खजाने को 1179 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। यूपी की इन चीनी मिलों को खरीदने के दौरान दस्तावेजों को जाली बनाने के आरोप में सात लोगों को नामजद किया गया है।


यूपी सरकार ने सीबीआई को सौंपी थी जांच


यूपी सरकार ने 21 सरकारी शुगर मिलों को बेचे जाने के मामले की जांच सीबीआई को सैंपी थी। यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती पर इन शुगर मिलों को बाजार दर से कम कीमत पर बेचने का आरोप है। आरोपों में कहा गया था कि मायावती सरकार ने 21 मिलों को, जिनमें से 10 चल रहीं थीं बाजार भाव से बेहद कम दर पर बेच दिया था।


सरकारी खजाने को लगाई चपत


सीएजी रिपोर्ट में चीनी मिलों के मूल्यांकन में हेराफेरी और मनमाने ढंग से मूल्यांकित मूल्य में कमी करने, मूल्यांकन में सर्किल रेट के आधार पर आकलन न करने, गैरपारदर्शी तरीके से नीलामी और टेंडर प्रक्रिया में हेराफेरी से करोड़ के राजस्व हानि की पुष्टि हई है। भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (सीएजी) की रिपोर्ट में कहा गया है कि जिन चीनी मिलों को बसपा सरकार ने औने-पौने दामों में बेचकर सरकारी खजाने को हजारों करोड़ का चूना लगाया, उनकी मूल्यांकन प्रक्रिया अत्यंत त्रुटिपूर्ण


करोड़ों का नुकसान


सीएजी की रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश सरकार ने चीनी मिलों की बिक्री में केन्द्र सरकार द्वारा निर्धारित विनिवेश नीति का उल्लंघन किया। चीनी मिलों की भूमि के अलावा संयंत्र, मशीनरी व फैक्ट्री के भवनों, चीनी गोदामों के साथ रिहायशी आवासों और अन्य अचल संपत्तियों के मूल्यांकन में भारी धांधली की गई। मूल्यांकन में बिना कारण बताए भूमि के मूल्य में और भवनों में 25 प्रतिशत की छूट दी गई। सर्किल रेट को अनदेखा करने के कारण स्टांप ड्यूटी में चोरी से 600 करोड़ से अधिक की क्षति हुई।



मिलों को बेचने के दौरान बरती गई अनियमितता


अमरोहा की चीनी मिल जिसकी प्रतिदिन उत्पादन क्षमता 3000 टन की है, वह वेब लिमिटेड को 17.10 करोड़ में बेची गई जबकि उस मिल के अंदर रखी चीनी और शीरा का मूल्य ही 13.64 करोड़ का था। इस तरह 30.4 एकड़ जमीन तथा चल-अचल सम्पत्ति का निर्धारण केवल 4.07 करोड़ रुपए ही आंका गया। बिजनौर की चीनी मिल जो 84 एकड़ क्षेत्रफल में है, उसको पीबीएस फूड्स लिमिटेड को मात्र 101 करोड़ में बेच दिया गया। चीनी मिल के अंदर रखे सामान की कीमत ही 71.38 करोड़ रुपए आंकी गई थी। बहराइच के जरवल रोड स्थित चीनी मिल जो 94 एकड़ क्षेत्रफल में फैली है, जो इंडियन पोटास लिमिटेड को मात्र 26.95 करोड़ रुपए में बेच दी गई। मिल के अंदर रखी चीनी और शीरा का दाम ही केवल 32.05 करोड़ रुपए निकलता है। बरेली, देवरिया, बाराबंकी, हरदोई की बंद पड़ी चीनी मिलें भी औने-पौने दामों में बेच दी गईं।