लखनऊ। टीवी का टीआरपी घोटाला मुंबई के बाद अब यूपी तक पहुंच गया है. इस सिलसिले में अब योगी सरकार की सिफारिश पर सीबीआई ने एफआईआर दर्ज की है. मामला विज्ञापन कंपनी की शिकायत से जुड़ा है. जिसे लेकर लखनऊ के हजरतगंज थाने में केस दर्ज था. अब पुलिस ने यह केस सीबीआई को सौंप दिया है.


जिसके बाद सीबीआई ने तुरंत कार्रवाई करते हुए अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है. जानकारी के मुताबिक फिलहाल मामले में पैसे देकर टीआरपी बढ़ाने के आरोप हैं.


क्या है टीआरपी
बता दें कि टीआरपी यानि टेलीविजन रेटिंग प्वाइंट के जरिए किसी चैनल को देखने वालों की संख्या की गणना की जाती है. इसके लिए जरिए तय किया जाता है कि दर्शक कौन सा चैनल ज्यादा देखना पसंद कर रहे हैं. जिसके बाद टीवी विज्ञापन कंपनियों से विज्ञापन पाने के लिए इन आंकड़ों का इस्तेमाल करती हैं. टीआरपी के आंकड़ों में इस बात का भी जिक्र होता है कि किस सामाजिक और आर्थिक वर्ग के लोगों ने कितनी देर तक कोई चैनल देखा. टीआरपी की गणना में चैनल को एक घंटे से लेकर एक दिन और एक सप्ताह तक का आंकड़ा शामिल होता है.


हर हफ्ते आते हैं टीआरपी के आंकडे़
बता दें कि टीआरपी के आंकड़े साप्ताहिक स्तर पर जारी किए जाते हैं. इन आंकड़ों में उस सप्ताह कौन सा चैनल सबसे ज्यादा देखा गया शामिल होता है. टीआरपी की गणना के लिए विभिन्न घरों में कुछ खास किस्म के डिवाइस लगाए गए हैं. ये डिवाइस कौन सा चैनल कितनी देर देखा गया इस आंकड़ों को रिकॉर्ड करते हैं. बाद में इसी आधार पर टीआरपी रेटिंग जारी की जाती है. इसके लिए बार्क (ब्रॉडकास्ट ऑडियेंस रिसर्च काउंसिल) ने देश के 4500 घरों में ऐसे डिवाइस इंस्टाल किए हैं.


ऐसे बना है मुद्दा
उल्लेखनीय है कि हाल ही में मुंबई पुलिस ने ऐसे गैंग का खुलासा किया है जो कि पैसे लेकर टीआरपी रेटिंग बढ़ाने का काम कर रहा था. ये गैंग दर्शकों को विशेष चैनल देखने के लिए पैसे देता था ताकि रिकॉर्ड में ये बात दर्ज हो सके कि कोई चैनल सबसे ज्यादा देखा गया.


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