हमीरपुर, एबीपी गंगा। यूपी के हमीरपुर जिले में अवैध खनन घोटाले को लेकर एक बार फिर से सीबीआई की तीन सदस्यीय टीम ने यहां डेरा डाल दिया है। मंगलवार को सीबीआई की टीम ने कलेक्ट्रेट स्थित खनिज कार्यालय में छापा मारा और और अहम दस्तावेज खंगाले। सीबीआई की टीम के आने की खबर से जिले में हड़कंप मच गया है। सीबीआई की टीम हमीरपुर में ढाई साल से अधिक समय तक जिलाधिकारी रही बी. चन्द्रकला के द्वारा जारी किये गये मौरंग के पट्टों और इससे जुड़े अधिकारियों पट्टेदारों की भूमिका की अब फाइनल जांच करेगी।


प्रदेश में अखिलेश यादव की सरकार ने 2008 बैच की आईएएस बी. चन्द्रकला को हमीरपुर जिलाघिकारी के पद पर 15 अप्रैल 2012 को तैनाती की थी। आरोप है कि उन्होंने नियमों को ताक पर रखते हुये बिना ई-टेंडरिंग के 49 पट्टे मौरंग खनन के लिये जारी कर दिये थे। इसके बाद उन्होंने दस और पट्टे जारी किये थे। जिले में मौरंग खनन के सर्वाधिक पट्टे सपा के एमएलसी रमेश मिश्रा, उनके बड़े भाई दिनेश मिश्रा, बबलू उर्फ अम्बिका को दिये गये थे। पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष संजय दीक्षित, उनके पिता सत्यदेव दीक्षित व लोनिवि हमीरपुर के रिटायर्ड लिपिक रामऔतार निवासी जालौन को भी तमाम पट्टे दिये गये थे।



हाईकोर्ट के आदेश पर अवैध खनन की चल रही सीबीआई जांच में सैकड़ों लोगों से पूछताछ हो चुकी है। इसी साल सीबीआई ने बी.चन्द्रकला, तत्कालीन खनिज अधिकारी मुईनुद्दीन, सपा एमएलसी रमेश मिश्रा, पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष संजय दीक्षित उनके पिता सत्यदेव दीक्षित अम्बिका उर्फ बबलू, खनिज विभाग के रिटायर्ड लिपिक रामआसरे व पट्टा धारक रामऔतार बाबू समेत 11 लोगों के यहां छापेमारी करने के बाद मुकदमा दर्ज किया था। छापेमारी को दौरान रामऔतार के घर से करोड़ों की नगदी और सोने के गहने बरामद हुये थे।



खनिज विभाग से जुड़े लोगों के मुताबिक तीन सदस्यीय सीबीआई टीम अपने साथ खनन घोटाले से संबंधित अभिलेख भी लायी है। अनुमान लगाया जा रहा है कि जो अभिलेख खनन विभाग ने पिछली बार सीबीआई टीम को दिये थे उन्हीं का अध्ययन करते हुये नये सिरे से जांच होगी। सीबीआई ने सोमवार की देर शाम सपा सरकार में मौरंग खनन से जुड़े 78 कारोबारियों को तलब किया है। इसके लिए नोटिस जारी कर संबंधित थानों की पुलिस को तामीला कराया है।