देहरादून. उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की मुश्किलें बढ़ गई हैं. नैनीताल हाईकोर्ट ने सीएम पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच सीबीआई को करने का निर्देश दिया है. बतादें कि सीएम रावत पर एक पत्रकार ने पैसों के लेन-देन का आरोप लगाया है. मामले में हाईकोर्ट ने दो पत्रकारों के खिलाफ एफआईआर को रद्द कर दिया है. साथ ही अदालत ने सीबीआई को मामले में एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया है.


क्या है मामला?
दरअसल, पत्रकार उमेश शर्मा ने सीएम त्रिवेंद्र के खिलाफ पैसों के लेन-देन का आरोप लगाया था. उमेश शर्मा ने एक रिटायर्ड प्रोफेसर और उनकी पत्नी के बैंक खातों का जिक्र करते हुए कहा था कि नोटबंदी के दौरान उनके खातों में झारखंड से पैसे भेजे गए थे, जिसके बाद इन पैसों को त्रिवेंद्र सिंह रावत को दिया जाना था.


पत्रकार ने शिकायत में प्रोफेसर की पत्नी को सीएम की पत्नी की बहन बताया था. इन आरोपों के बाद रिटायर्ड प्रोफेसर ने पत्रकार उमेश शर्मा के खिलाफ देहरादून में कई धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज कराया था. पुलिस ने मामले में पत्रकार उमेश शर्मा व शिव प्रसाद सेमवाल को गिरफ्तार कर लिया था.


कई धाराओं में केस दर्ज
पत्रकार उमेश शर्मा के खिलाफ आईपीसी की धारा 420 धोखाधड़ी, 467 मूल्यवान कागजों के साथ धोखाधड़ी, 468 इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों व कागजो के साथ धोखाधड़ी के लिए छेड़छाड़, 469 प्रतिष्ठा को नुकसान पहुचाने के लिए धोखाधड़ी, 471 बेईमानी से जाली दस्तावेज के रूप को सही करना और 120-बी आपराधिक षडयंत्र रचने की धाराओं के तहत केस दर्ज किया गया था. पुलिस ने देहरादून के नेहरू नगर में केस दर्ज किया था जिसके बाद उमेश शर्मा को गिरफ्तार किया गया.


उमेश शर्मा ने हाईकोर्ट में दी थी याचिका
वहीं, पत्रकार उमेश शर्मा ने आरोपों को गलत बताते हुए नैनीताल हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. याचिका पर सुनवाई करते हुए नैनीताल हाईकोर्ट के जस्टिस रविंद्र मैठाणी की एकल पीठ ने कहा "सीएम पर लगे आरोप गंभीर हैं, लिहाजा सच सामने आना चाहिए." इसके अलावा अदालत ने उमेश शर्मा व शिव प्रसाद सेमवाल के खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द कर दिया है. अब सीबीआई इस मामले में एफआईआर दर्ज करेगी.


बतादें कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत सीएम बनने से पहले बीजेपी के राष्ट्रीय मंत्री थे. इस दौरान वो झारखंड बीजेपी के प्रभारी भी रह चुके हैं.


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