CDS Bipin Rawat Death: उत्तराखंड के गांव के रहने वाले थे जनरल बिपिन रावत, गांव तक चाहते थे बनें सड़क, ख्वाहिश हुई पूरी
CDS Bipin Rawat Death: जनरल रावत ने अपने पैतृक गांव में ज्यादा समय नहीं बिताया. उन्होंने देहरादून के कैम्ब्रियन हिल स्कूल और बाद में शिमला के सेंट एडवर्ड स्कूल से पढ़ाई की.
CDS Bipin Rawat Death: उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले के सैंज गांव में 1958 में जन्मे जनरल बिपिन रावत सेना के अधिकारियों के परिवार से ताल्लुक रखते थे. उनके पिता लक्ष्मण सिंह रावत सेना में लेफ्टिनेंट जनरल के पद से सेवानिवृत्त हुए थे.
पौड़ी गढ़वाल जिले का सैंज गांव जिला मुख्यालय से लगभग 42 किमी और यमकेश्वर से लगभग 4 किमी दूर है. 2011 की जनगणना के आंकड़ों से पता चलता है कि सैंज में 21 घर और 93 की आबादी थी, अब तक ज्यादातर लोग इस छोटे गांव से पलायन कर चुके हैं.
कम उम्र में ही स्कूली शिक्षा के लिए देहरादून चले गए थे जनरल रावत
जनरल रावत ने अपने पैतृक गांव में ज्यादा समय नहीं बिताया. वह कम उम्र में ही स्कूली शिक्षा के लिए देहरादून चले गए थे. बिपिन रावत ने देहरादून के कैम्ब्रियन हिल स्कूल और बाद में शिमला के सेंट एडवर्ड स्कूल से पढ़ाई की. इसके बाद वह खडकवासला, पुणे में राष्ट्रीय रक्षा अकादमी और देहरादून में भारतीय सैन्य अकादमी में शामिल हो गए.
हेलीकॉप्टर क्रैश के मृतकों में शामिल सीडीएस रावत की पत्नी मधुलिका मध्य प्रदेश के रीवा से ताल्लुक रखती थीं. उनके पिता सेना के अधिकारी थे.
पौड़ी गढ़वाल को जनरल रावत की वजह से मिली थी राष्ट्रीय पहचान
इंडियन एक्सप्रेस में छपी रिपोर्ट के मुताबिक यमकेश्वर विधायक रितु खंडूरी ने बताया कि पौड़ी गढ़वाल को दिवंगत सीडीएस के कारण राष्ट्रीय महत्व मिला. कुछ साल पहले जब सीडीएस रावत ने जिले का दौरा किया था. खंडूरी ने बताया कि उस समय जनरल रावत ने उत्तराखंड के तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से अनुरोध किया था कि बेहतर संपर्क के लिए उनके गांव तक एक सड़क बनाई जाए. उसके बाद, हमने लगभग 4.5 किमी लंबी सड़क बनानी शुरू की, हर चीज की एक प्रक्रिया होती है. लगभग 3.5 किमी पहले ही पूरी हो चुकी है. हालांकि जमीन को लेकर कुछ विवाद था, जिसके कारण देरी हुई.
उत्तराखंड के सीएम ने जनरल रावत के निधन पर शोक व्यक्त किया
विमान दुर्घटना में जनरल रावत और अन्य की मौत पर दुख व्यक्त करते हुए उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि पूर्व सेना प्रमुख उत्तराखंड के एक छोटे से गांव में पैदा हुए और पले-बढ़े और अपनी प्रतिभा के दम पर सेना में सर्वोच्च पद पर पहुंचे. धामी ने कहा, "उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा और सेना को एक नई दिशा दी थी. उनके निधन से उत्तराखंड को गहरा झटका लगा है. हमें उन पर हमेशा गर्व रहेगा. ”
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