क्या यूपी में टाले जाएंगे विधानसभा चुनाव? CEC सुशील चंद्रा ने दिया जवाब
UP Election 2022: मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा ने कहा कि अगले हफ्ते हम यूपी जाएंगे और वहां की स्थिति की समीक्षा करेंगे और फिर उचित निर्णय लेंगे.
CEC Sushil Chandra on Assembly polls: इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा चुनाव आयोग से चुनावी रैलियों पर तुरंत प्रतिबंध लगाने और विधानसभा चुनाव स्थगित करने के सुझाव पर मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा ने कहा कि अगले हफ्ते हम यूपी जाएंगे और वहां की स्थिति की समीक्षा करेंगे और फिर उचित निर्णय लेंगे. देहरादून में उन्होंने कहा कि पहले एक पोलिंग बूथ पर 1500 मतदाता होते थे लेकिन कोविड की स्थिति है इसलिए इसे कम करके 1200 कर दिया गया है. पूरे प्रदेश में 623 नए पोलिंग बूथ बनाए गए हैं और कुल पोलिंग बूथ अब 11,647 होंगे.
बता दें कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कोविड-19 की तीसरी लहर की बढ़ती आशंका के मद्देनजर केंद्र सरकार और भारत निर्वाचन आयोग से चुनावी रैलियों पर रोक लगाने व चुनावों को टालने पर विचार करने का आग्रह गुरुवार को किया. जस्टिस शेखर कुमार यादव ने एक मामले में याचिकाकर्ता की जमानत अर्जी मंजूर करते हुए कहा, कोरोना वायरस के नए स्वरूप ओमिक्रोन के मरीजों की संख्या बढ़ रही है और तीसरी लहर आने की आशंका है. उन्होंने कहा कि इस भयावह महामारी को देखते हुए चीन, नीदरलैंड, जर्मनी जैसे देशों ने पूर्ण या आंशिक लॉकडाउन लगा दिया है. अदालत ने कहा, दूसरी लहर में हमने देखा कि लाखों की संख्या में लोग संक्रमित हुए और लोगों की मृत्यु हुई. उन्होंने कहा कि ग्राम पंचायत और पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के कारण बड़ी संख्या में लोग संक्रमित हुए और उनकी मृत्यु हुई.
जीवन रहेगा तो चुनावी रैलियां, सभाएं होती रहेंगी- कोर्ट
अदालत ने कहा कि अब उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव निकट है जिसके लिए सभी पार्टियां रैलियां, सभाएं आदि करके लाखों लोगों की भीड़ जुटा रही हैं जहां कोविड प्रोटाकॉल का पालन किसी रूप में संभव नहीं है. उन्होंने कहा कि इसे समय रहते नहीं रोका गया तो परिणाम दूसरी लहर से कहीं अधिक भयावह होंगे. अदालत ने निर्वाचन आयुक्त से इस प्रकार की रैलियों, सभाओं पर तत्काल रोक लगाने और राजनीतिक दलों को चैनल और समाचार पत्रों के माध्यम से प्रचार करने का आदेश देने का अनुरोध किया. अदालत ने कहा, यदि संभव हो सके तो फरवरी में होने वाले चुनावों को एक-दो महीने के लिए टाल दिया जाए क्योंकि जीवन रहेगा तो चुनावी रैलियां, सभाएं आगे भी होती रहेंगी और जीवन का अधिकार हमें भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 में मौलिक अधिकार के रूप में प्राप्त है.
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