Uttarakhand News: प्राचीन पवित्र 'छड़ी यात्रा' आज धर्मनगरी हरिद्वार के मायादेवी मंदिर से कनखल स्थित जगद्गुरु आश्रम पहुंची. जगद्गुरु आश्रम में शंकराचार्य स्वामी राजराजेश्वराश्रम महाराज ने छड़ी का विधि विधान विधान से पूजा कर यात्रा को आगे रवाना किया. छड़ी यात्रा में निरंजनी पिठाधिश्वर स्वामी केलाशांनंद गीरी महाराज, अखाड़ा परिषद अध्यक्ष रविंद्र पुरी महाराज सहित संत महात्मा मौजूद रहे. गढ़वाल और कुमाऊं मंडल में सभी प्रमुख तीर्थस्थलों और धार्मिक स्थलों का छड़ी यात्रा भ्रमण करेगी. 


अनुमति मिलने के बाद छड़ी यात्रा की दोबारा शुरुआत


आपको बता दें कि जूना अखाड़ा की तरफ से छड़ी यात्रा को निकाला जाता है मगर किसी कारण से बंद हो गई थी. प्राचीन समय में छड़ी यात्रा बागेश्वर से निकाली जाती थी. तीन साल पहले अखाड़ा परिषद के महामंत्री और जूना अखाड़ा के हरिगिरि महाराज ने मुख्यमंत्री से प्राचीन छड़ी यात्रा को दुबारा शुरू करने की अनुमति मांगी. प्राचीन छड़ी को हरिद्वार लाकर स्थापित कर दिया गया. सरकार की अनुमति मिलने के बाद छड़ी यात्रा को दुबारा शुरू किया गया. 


छड़ी यात्रा के माध्यम से पलायन को रोके जाने का काम


अखाड़ा परिषद के महामंत्री हरिगिरि का कहना है कि प्राचीन समय में राजा महाराजा गरीब लोगों को छड़ी यात्रा के माध्यम से यात्रा करवाते थे. छड़ी यात्रा से तीर्थों का प्रचार-प्रसार भी होता था.  परंपरा सदियों तक चलती रही. आज उत्तराखंड में काफी पलायन हो रहा है. बॉर्डर के क्षेत्र खाली हो रहे हैं. नई पीढ़ी के पलायन को नहीं रोका जाना काफी खतरनाक हो सकता है क्योंकि उत्तराखंड का अर्थ सिर्फ हरिद्वार ही नहीं है. चिंता संत समाज को भी है. छड़ी यात्रा के माध्यम से पूरे उत्तराखंड में पलायन को रोकने का कार्य किया जा रहा है और सरकारों का ध्यान आकर्षित किया जा रहा है.


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सीमा पर भी काफी पलायन हो रहा है. उन्होंने पलायन को रोकने की मांग की. उन्होंने विश्वास जताया कि छड़ी यात्रा के माध्यम से पहाड़ों पर विकास होगा. छड़ी यात्रा का हरिद्वार के आश्रम, मठ मंदिरों में पूजन किया जा रहा है. शंकराचार्य राजराजेश्वर का कहना है कि छड़ी यात्रा की परंपरा अनादि काल से चली आ रही है. फिर से छड़ी यात्रा को शुरू किया गया. छड़ी पूजन का विधान हमे हिंदू संस्कृति से जोड़ता है.


उत्तराखंड के अंतिम छोर नंदा देवी तक जाएगी यात्रा


अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी ने बताया कि छड़ी यात्रा हरिद्वार के सभी मठ, मंदिरों और आश्रम में जाएगी. मंदिर, मठ और आश्रम में पूजन के बाद छड़ी यात्रा आगे रवाना की जाएगी. हमारा उद्देश्य है छड़ी यात्रा को भारत के हर कोने तक लेकर जाया जाए ताकि सनातन परंपरा से जुड़े सभी हिंदू  एकजुट हों. जबसे छड़ी यात्रा दोबारा शुरू की गई है सभी लोगों का सहयोग मिल रहा है. छड़ी यात्रा हरिद्वार से शुरू होकर उत्तराखंड के अंतिम छोर नंदा देवी तक जाएगी. 


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