नई दिल्ली, एबीपी गंगा। आज से चैत्र नवरात्रि शुरू हो रहे हैं। उत्तर भारत में नौ दिनों तक देवी मां के अलग-अलग स्‍वरूपों की पूजा की जाती है। आज पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाएगी। भक्‍त पूरे नौ दिनों तक व्रत रखने का संकल्‍प लेते हैं। पहले दिन कलश स्‍थापना की जाती है और अखंड ज्‍योति जलाई जाती है। फिर अष्‍टमी या नवमी के दिन कुंवारी कन्‍याओं को भोजन कराया जाता है। चैत्र नवरात्र के आखिरी दिन यानी कि नवमी को 'राम नवमी' कहते हैं। नवरात्रि में मंदिरों में में मां के दर्शन के लिए भक्तों की भीड़ रहती थी। लेकिन इस बार कोरोना को देखते हुए मंदिर बंद हैं। ऐसे में लोग आज लॉकडाउन के चलते घर में ही रहकर पूजा कर हैं।


कलश स्थापना का शुभ मुहुर्त


घट स्थापन के लिए प्रात: काल का समय विशेष शुभ माना जाता है। प्रात: 5.58 से 9 बजे तक जो लोग कलश स्थापन न कर सकें उनके लिए अभिजीत मुहूर्त सुबह 11.36 से 12.25 तक शुभ रहेगा। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि 25 मार्च को दिन में 3.51 बजे तक रहेगी, इस समय तक कलश स्थापन अवश्य कर लें।



मां शैलपुत्री की अराधना


नवरात्र पूजन के प्रथम दिन कलश पूजा के साथ ही मां दुर्गा के पहले स्वरूप 'शैलपुत्री जी' का पूजन किया जाता है। इनका पूजन करने से मूलाधार चक्र जागृत होता है और यहां से योगसाधना आरम्भ होती है।


पूजा फल
मां शैलपुत्री देवी पार्वती का ही स्वरूप हैं जो सहज भाव से पूजन करने से शीघ्र प्रसन्न हो जाती हैं और भक्तों को मनोवांछित फल प्रदान करती हैं। मन विचलित रहता हो और आत्मबल में कमी हो तो शैलपुत्री की आराधना करने से लाभ मिलता है।