Chaitra Navratri 2023: देश-विदेश में मां शक्ति के 51 शक्तिपीठों में से एक देवीपाटन शक्तिपीठ पर हर वर्ष चैत्र मास में एक महीने का मेला लगता है. यहां पर लाखों की संख्या में मेलार्थी व श्रद्धालु, मेला घूमने और मां पाटेश्वरी के दर्शन पूजन के देश विदेश से आते हैं. 22 मार्च से शुरू हो रहे चैत्र नवरात्रि पर लगने वाला राजकीय मेला देवीपाटन की तैयारी प्रशासन के द्वारा पूरी की जा चुकी है. सुरक्षा को देखते हुए पूरे मंदिर व मेला परिसर सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं.


चैत्र नवरात्रि पर लगने वाला देवी पाटन मेला एक महीने तक चलता है. इस मेले में भारत, नेपाल समेत तमाम देशों के श्रद्धालु भारी संख्या में पहुंचते हैं. नवरात्रि की पंचमी के दिन प्रसिद्ध पीर रतननाथ योगी की धार्मिक यात्रा हजारों श्रद्धालुओं के साथ नेपाल से पैदल पहुंचती है. नवरात्रि के अष्टमी के दिन बाराबंकी, सीतापुर, बहराइच सहित अन्य जनपदों से भुर्जी समाज के लोग अपने कुल देवी की पूजन के लिए हजारों की संख्या में पैदल धार्मिक यात्रा देवीपाटन पहुंचती है. मेले में लगने वाले आकर्षक झूले व अन्य मनोरंजन के साधन दर्शनार्थियों को खूब लुभाते हैं.


देवीपाटन मेले की सुरक्षा को लेकर तैयारियां


देवीपाटन मंडलायुक्त एमपी अग्रवाल ने तमाम अधिकारियों के साथ मेले की तैयारियों की जानकारी ली और तमाम दिशा निर्देश डीएम को दिए. इंडो-नेपाल सीमा पर स्थित होने से शक्तिपीठ मंदिर देवीपाटन की महत्व व मेले की ऐतिहासिकता को देखते हुए मंदिर की सुरक्षा व्यवस्था का खास इंतजाम किए गए हैं. पूरे मेला परिसर में सीसीटीवी लगाए गए हैं. मंदिर के चप्पे-चप्पे पर पुलिस की नजर है. इसके लिए बड़ी संख्या में पुलिस बल को दूसरे जनपदों से भी बुलाया गया है. डीएम महेंद्र कुमार ने कहा कि देवीपाटन मंदिर की सुरक्षा व्यवस्था अभेद रहेगी. 


51 शक्तिपीठों में एक है देवीपाटन मंदिर


शक्तिपीठ मंदिर देवीपाटन 51 शक्तिपीठों में शुमार है. यहां बड़ी संख्या में देशभर से श्रद्धालु पहुंचते हैं. मान्यता है कि यहां माता सती का वाम स्कंध पट सहित गिरा था. पट सहित गिरने से यहां आदिशक्ति को माता पाटेश्वरी के नाम से पूजन किया जाता है. माता पाटेश्वरी के नाम पर ही इस क्षेत्र का नाम देवीपाटन है. यहीं के नाम पर मंडल का नाम भी देवीपाटन है. हर साल चैत्र नवरात्रि में यहां पर विशाल मेला लगता है. मंदिर की ऐतिहासिकता को देखते हुए प्रदेश सरकार ने इस मेले को राजकीय मेले का दर्जा दिया है.


देवीपाटन मंदिर की व्यवस्था व देखरेख गोरक्षनाथ मंदिर, गोरखपुर के द्वारा की जा रही है. गोरक्ष पीठाधीश्वर सीएम योगी आदित्यनाथ मंदिर की व्यवस्थाओं को लेकर स्वयं समीक्षा करते रहते है. देवीपाटन पीठाधीश्वर मिथलेश नाथ योगी ने बताया कि मंदिर व जिला प्रशासन के द्वारा मंदिर पहुंच रहे श्रद्धालुओं के आवागमन उनके सुविधाओं को लेकर लगातार बेहतर किया जा रहा है.


 देवीपाटन शक्तिपीठ का महत्व 


देवीपाटन मंदिर में जगदमाता पाटेश्वरी अपने अलौकिक इतिहास को समेटे है. ये ऐतिहासिक मंदिर नेपाल सीमा से सटे बलरामपुर जनपद में तुलसीपुर तहसील के सूर्या (सिरिया) नदी के तट पर स्थित है. प्राकृतिक छटा के बीच में स्थित माँ पाटेश्वरी देवी का ये मंदिर हजारों सालों से भक्तों के आस्था व विश्वास का केन्द्र है. विश्व प्रसिद्ध मंदिर को कई पौराणिक कथाओं के साथ सिद्धपीठ होने का गौरव प्राप्त है. यहां साल में दो बार चैत्र व शारदीय नवरात्र पर विशेष उत्सव के साथ मेला लगा रहता है. इस दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं. 


लोगों का मानना है कि यहां विद्यमान महाभारत के कर्ण के द्वारा स्थापित सूर्यकुंड, त्रेतायुग से जल रहा अखंड धूना व अखंड ज्योति में मां दुर्गा के शक्तियों का वास है और इतिहास गवाह है कि सिद्ध रतननाथ (नेपाल) व गुरु गोरखनाथ को सिद्धि भी यहीं प्राप्त हुई थी. कण-कण में देवत्व का वास होने से इस मंदिर में लाखों श्रद्धालु मनोकामना पूर्ण करने के लिए अनुष्ठान व्रत एवं पूजन करते हैं. 


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