Gonda News: गोंडा (Gonda) जिला मुख्यालय से लगभग 35 किलोमीटर की दूरी पर देवी दुर्गा का 34वां शक्तिपीठ मां वाराही देवी मंदिर (Varahi Devi Mandir) मौजूद है. चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri) के अवसर पर दूर-दूर से लोग दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं. मंदिर को लेकर अलग-अलग मान्यता है. इनमें से एक यह है कि जिनकी आंखों की दृष्टि चली जाती है वे अगर प्रसाद के रूप में मिलने वाले नीर और मंदिर में मौजूद वटवृक्ष का दूध आंख में डालते हैं, तो उनकी आंखों की रोशनी वापस चली आती है.
एक मान्यता यह भी है कि माता के मंदिर में जलने वाले ज्योत के काजल को आंखों में लगाने से भी रोशनी वापस आ जाती है. मान्यता है कि माता सती के दो दांत यहां पर गिरे थे और जहां गिरे थे वहां दो छेद मौजूद है. जिनकी गहराई आज तक नहीं मापी जा सकी है. ऐसी कहा जाता है कि वर्षों पहले ऐसा किसी ने करने की कोशिश की थी जिस दौरान उस व्यक्ति की देखने की शक्ति चली गई थी. इसके बाद इस छिद्र में करीब 4000 मीटर धागे में एक पत्थर बांध कर डाला गया था लेकिन कुछ पता नहीं चल पाया. नवरात्र पर यहां लाखों भक्तों का जमावड़ा लगता है.
मंदिर को लेकर एक मान्यता यह भी है
वहीं, कुछ विद्वान ये भी बताते हैं कि जब भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र चलाया था तो माता सती का जबड़ा यहां गिरा था, तभी से यह स्थान 34वें शक्तिपीठ वाराही देवी के नाम से प्रसिद्ध है. यह भी माना जाता है कि जब विष्णु भगवान ने पृथ्वी को बचान के लिए वाराह अवतार लिया था तो आह्वान पर वाराही देवी उतरी थी. लोगों का मानना है कि इस मंदिर में मांगी गई सारी मन्नतें पूरी हो जाती हैं. वहीं माता का दर्शन करने आए श्रद्धालुओं का कहना है कि यहां पर सच्चे मन से माता के दर्शन करने और मन्नत मांगने से माता रानी सभी मनोकामना पूरी करती है.
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