लखनऊ, एबीपी गंगा। यूपी में बीजेपी और सहयोगियों को मिली जीत के अपने सियासी मायने हैं। बीजेपी ने यहां जातिगत राजनीति की कमर तोड़ दी है। भले ही बीजेपी यूपी में 74 प्लस के लक्ष्य को हासिल न कर पाई हो लेकिन जिस तरह से एक बार फिर यूपी की जनता ने बीजेपी पर भरोसा दिखाया है उससे तमाम बीजेपी के नेताओं और खासकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का आत्मविश्वास जरूर बढ़ेगा। केंद्र में मोदी सरकार की वापसी का लाभ यूपी में योगी सरकार को भी होगा लेकिन अब जनता के सामने किए गए वादों पर दोनों ही सरकारों को खरा उतरना होगा। योगी सरकार को सफलता का जश्न मनाना चाहिए, लेकिन इस बात का भी ख्याल रखना होगा कि नतीजों के साथ खुद योगी आदित्यनाथ की चुनौतियां बढ़ गई है।


करनी होगी भविष्य की तैयारी


योगी सरकार के अब तक के काम पर नजर डालें तो उसने केंद्र की योजनाओं को जनता तक पहुंचाने में सफलता प्राप्त की है। इसका असर भी नतीजों के तौर पर लोकसभा चुनाव के बाद देखने को मिला है। एनडीए गठबंधन की जीत में योगी की अहम भूमिका रही है। स्टार प्रचारक के तौर पर उन्होंने मेहनत की और जनता के सामने अपनी सरकार के कार्यों को भी रखा। उपचुनाव हारने के बाद बीजेपी के सामने जो गठबंधन चुनौती बनकर खड़ा था वो मोदी सुनामी के सामने तिनकों की तरह ढह गया। अब 2019 के बाद चुनौती 2022 के विधानसभा चुनाव हैं जिसके लिए तैयारी अभी से करनी पड़ेगी।


दिखा पीएम मोदी का प्रभाव


लोकसभा चुनाव के दौरान यूपी में सबकुछ ठीक था, ऐसा कतई नहीं है। कई चुनौतियां हैं जिनका सीधा सरोकार जनता से जुड़ा हुआ है। विश्लेषक तो यहां तक कहते नजर आए कि लोकसभा चुनाव पूरी तरह से पीएम मोदी के नाम और केंद्र सरकार के काम पर लड़ा गया। यह बात ठीक भी है क्योंकी कई रौलियों में पीएम मोदी ने बिना किसी प्रत्याशी का नाम लिए अपने नाम पर वोट मांगा। 2014, 2017 और 2019 में  प्रचंड जीत की हैट्रिक लगा चुकी बीजेपी के सामने अब किस तरह की चुनौतियां चलिए इसपर भी एक नजर डाल लेते हैं।



आवारा पशु हैं बड़ी समस्या


प्रदेश में आवारा पशुओं की समस्या सबसे बड़ी चुनौती बनी हुई है। जगह-जगह किसानों को फसल बचाने के लिए घेराबंदी में हजारों रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं और पूरी रात जगकर उसकी रखवाली करनी पड़ रही है। चुनाव में जगह-जगह लोगों ने यह कहकर वोट दिया कि यह चुनाव मोदी का है, इसलिए वोट दे रहे हैं। विधानसभा चुनाव से पहले आवारा पशुओं की समस्या का समाधान नहीं हुआ तो सत्तादल के विधायकों को गांवों में घुसने नहीं दिया जाएगा। हाल ही में एक दर्दनाक घटना भी सामने आई थी जिसमें एक किसान खेतों की रखवाली के लिए लोहे की बाड़ लगाकर उसमें करंट छोड़ देता था। इसी दौरान करंट की चपेट में आने से एक महिला की मौत हो गई थी।


अवैध खनन पर कैसे लगेगी रोक?


अवैध खनन अब तक की सभी सरकारों के लिए बड़ी समस्या रही है। सत्ता में कोई भी रहे लेकिन अवैध खनन पर पूरी तरह से रोक कभी नहीं लगी। सबसे बड़ा कारण ये है कि जगह-जगह पर सत्ता के करीबी लोग ही अवैध खनन में लिप्त हैं। उन्हें कोई टोकने ही हिम्मत नहीं करता और प्रशासन की तरफ से भी कोई कार्रवाई नहीं की जाती है। लोगों का तो ये भी कहना है कि एंटी भू-माफिया टास्क फोर्स के जरिए सरकारी संपत्ति पर अवैध कब्जे खाली करने के दावे सिर्फ कागजी हैं। बड़े भू-माफिया और दबंगों का कहर बदस्तूर जारी है जिससे जनता परेशान है। अवैध खनन पर रोक सीएम योगी के लिए बड़ी चुनौती है और यदि वो ऐसा करने में कामयाब हो पाते हैं तो फल भी बेहतर ही मिलेगा।



कब होगी कार्रवाई


यूपी के लोगों का कहना है कि सरकार चुनाव आता है तभी बड़े लोगों के खिलाफ कार्रवाई करती है। दो साल बीत गए स्मारक से लेकर चीनी मिल बिक्री तक के मामले लंबित हैं, कोई कार्रवाई नहीं हुई। चुनाव आया तो चीनी मिल मामले में सीबीआई जांच की याद आ गई। इसी तरह प्रभावशाली नेताओं के तमाम मामले वर्षों से दबे हैं, उनपर कोई निर्णय नहीं होता। अब देखा जाएगा कि सरकार बड़े लोगों के लंबित मामलों को सियासी सौदे तक ही सीमित रखती है या फिर चुनाव आने पर ही याद करेगी। सरकार के लिए ये भी बड़ी चुनौती है जिससे निपटना आसान नहीं है।


पुलिस में जरूरी सुधार


यूपी में कानून-व्यवस्था बड़ा मसला है। भले ही सीएम योगी ने अपराधियों के खिलाफ अभियान चला रख हो लेकिन बदमाशों के हौसले अब भी बुलंद हैं। कई लोग तो अब भी यही कहते हैं कि कानून-व्यवस्था को लेकर भय कायम है और महिला सुरक्षा प्रदेश में सबसे बड़ा मुद्दा है। महिलाओं के साथ छेड़छाड़ के मामलों में तो कमी आई है, लेकिन पुलिस जनता के साथ अब भी ठीक बर्ताव नहीं करती है। पुलिस और आम लोगों के बीच की खाई को पाटने की पहल सीएम योगी को ही करनी होगी जिससे जनता खुद को सुरक्षित महसूस करे।



बड़ी हैं स्थानीय समस्याएं


लोगों की सबसे बड़ी समस्या उनके आसपास की है। आम तौर एक शिकायत आम रहती कि ब्लॉक और तहसील में समस्याओं की सुनवाई नहीं होती है। समस्या के समाधान के लिए बार-बार दौड़ लगानी पड़ती है। इसके अलावा जिन योजनाओं का लाभ मिलना चाहिए उनका लाभ भी नहीं मिल पाता है। स्थानीय समस्या का समाधान होगी सरकार के लिए आने वाले दिनों में रामबाण साबित हो सकता है और कौन जाने-यूपी में फिर यहीं नारा चल जाए एक बार, फिर योगी सरकार।