देहरादून: उत्तराखंड में आई त्रासदी के दौरान रविवार को जब सुबह 10:30 बजे ऋषिगंगा में ग्लेशियर गिरा तो अपने साथ पानी, पहाड़ और मलबे के ऐसा सैलाब लेकर आगे बढ़ा कि 50 सेकंड पहले आए फोन कॉल को काटकर जूते पहनने तक का मौका मुख्य पुजारी को नहीं मिला. भयानक आवाज और बड़े-बड़े पहाड़ के टुकड़ों को लेकर जलजला इतनी तेज गति से आया कि 40-50 फीट की ऊंचाई पर स्तिथ विष्णुप्रयाग मंदिर के पूरे प्रांगण को अपनी जद में ले लिया.
सब कुछ एक झटके में तबाह हो गया
मुख्य पुजारी शास्त्री सूरज सकलानी ने बताया कि मंदिर प्रांगण से नीचे घाट थे. 10 से ज्यादा पुजारियों के कमरे थे, सोलर प्लांट था, स्नान घर था. सब कुछ एक झटके में तबाह हो गया.
मंदिरों में भरा है मलबा
मुख्य पुजारी का कहना है कि ऊपर मंदिर प्रांगण में भोग मंडी टूट चुकी है, भगवान विष्णु के चरणों तक गंगा जा पहुंची है. पीछे भैरव नाथ मंदिर और भूतनाथ मंदिर भी मलबे से लबालब हैं. भैरव नाथ मंदिर की भोग मंडी भी क्षतिग्रस्त हो चुकी है. तीनों मंदिरों के गर्भगृह में भी मलबा भर गया है.
1972 में आई थी आपदा
बता दें कि, 1972 में जो आपदा आई थी, उस समय मंदिर मौजूदा स्थान से नीचे हुआ करता था. उस दौरान पुल भी काफी था. आपदा वो भी बड़ी थी, लेकिन इतनी भयावह नहीं.
ऊपर शिफ्ट होगा मंदिर
अब मंदिर कमेटी तय करेगी कि मंदिर को क्या और ऊपर शिफ्ट करना है. माना जा रहा है कि अब मंदिर को और ऊपर किया जाना जरूरी है क्योंकि धौली गंगा और अलकनंदा नदी का बेस 15-20 फीट बढ़ गया है.
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