देहरादून: चमोली जिले के जोशीमठ में रविवार को आई आपदा की असल वजह जानने को लेकर वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी ने दो वैज्ञानिकों की टीमों को स्टडी के लिए रवाना कर दिया है. यही नहीं इस आपदा को लेकर तमाम वैज्ञानिक अपने-अपने अलग तथ्य भी रख रहे हैं. वाडिया इंस्टीट्यूट के पूर्व हिमनद वैज्ञानिक डॉ डीपी डोभाल के अनुसार ये आपदा हाल ही में हुई बर्फबारी के कारण हुई है.


नीचे खिसक गया बर्फ का हिस्सा
बता दें कि चमोली में आई इस आपदा के कारणों को लेकर सभी तकनीकी पहलुओं पर काम शुरू हो गया है. आपदा के कारणों का पता लगाने के लिए उत्तराखंड आपदा प्रबंधन विभाग की तरफ से केंद्र सरकार ने इसरो को चार्टर लागू करने के लिए अनुरोध किया गया था. जिसके बाद इसरो ने अंतराष्ट्रीय चार्टर लागू किया. इसरो को अमेरिकन प्राइवेट सेटेलाइट कंपनी से मिली तस्वीरों से चौंकाने वाली जानकारी मिली है. पता लगा है कि चमोली में धौली गंगा नदी के ओरिजन नंदा देवी के पहाड़ों पर पिछले 2 से 5 फरवरी तक भारी बर्फबारी हुई थी. जिसके चलते पहाड़ों पर भारी बर्फ जमा हो गई थी. इसके बाद जब 6 फरवरी को मौसम खुला तो बर्फ का पूरा हिस्सा नीचे खिसक गया.


2 से 5 फरवरी तक हुई थी बर्फबारी
इसरो की तरफ से जारी किए गए इंटरनेशनल चार्टर के बाद जानकारी मिली है कि अमेरिकन की प्राईवेट अर्थ ईमेज कंपनी "प्लेनेट लैब" जोकि सैन फ्रांसिस्को, कैलिफोर्निया बेस्ड है, उसका सेटेलाइट आपदा क्षेत्र के ऊपर से गुजर रहा था. सेटेलाइट कंपनी "Planet lebs" से आई इमेज में ये साफ हो गया है कि विगत 2 से 5 फरवरी तक हुई बर्फबारी से ताजा बर्फ ग्लेशियर के चट्टान वाले हिस्से पर जमनी शुरू हो गई थी, जो मौसम साफ होने के बाद एक साथ नीचे फिसल गई.

तापमान बढ़ने की वजह पिघलने लगी बर्फ
वैज्ञानिक डॉ डीपी डोभाल ने बताया कि सर्दियों के मौसम में अमूमन बर्फबारी होती है लेकिन इस सीजन उच्च हिमालयी क्षेत्रों में कम बर्फबारी हुई है. यही नहीं कुछ दिनों पहले तक हिमालय क्षेत्र पर बर्फबारी नहीं हुई थी लेकिन अचानक कुछ दिनों पहले ही उच्च हिमालई क्षेत्रों पर बर्फबारी हुई. कुछ घंटे बर्फबारी के बाद ही मौसम साफ होगा ऐसे में जो बर्फबारी हुई थी उसे कंपैक्ट होने का टाइम नहीं मिला और तापमान बढ़ने की वजह से ये पिघलने लगी.



ये है त्रासदी के पीछे की वजह
डॉ डीपी डोभाल ने बताया कि हाल ही में हुई बर्फबारी के बाद बर्फ अगर पिघलना शुरू हो जाए तो ये नीचे की तरफ फिसलने लगती है. हालांकि, ताजा बर्फ काफी सॉफ्ट होती है लेकिन जब ये बर्फ जब पिघलना शुरू होती है तो बेहद खतरनाक होती है. हिमालय के निचले क्षेत्रों में बहुत सारे लूज मटेरियल भी होते हैं जिन्हें ये बर्फ अपने साथ बहा ले जाती है. जोशीमठ में आई आपदा के दौरान भी यही हुआ. हाल ही में हुई बर्फबारी पिघली और वो अपने साथ बहुत सारा मटेरियल लेकर नीचे आ गई.


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