Uttarakhand Assembly Election 2022: चमोली की कर्णप्रयाग सीट पर कांग्रेस द्वारा दो बार गौचर नगरपालिका से नगर पालिका अध्यक्ष रहे मुकेश नेगी को प्रत्याशी घोषित करने करने के बाद यहां की सियासत अब गर्म हो गई हैं. टिकट की दावेदारी कर रहे कांग्रेसी नेता सुरेश बिष्ट भी कर्णप्रयाग सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुके हैं. उनके समर्थन में गैरसैण ब्लॉक कांग्रेस कमेटी और नगर कांग्रेस कमेटी ने भी इस्तीफा दे दिया है.


बीजेपी में भी घमासान
भारतीय जनता पार्टी ने कर्णप्रयाग विधानसभा क्षेत्र से ही पूर्व विधायक अनिल नौटियाल को प्रत्याशी बनाया हैं, जिसके बाद से बीजेपी से टिकट की दावेदारी कर रहे बीजेपी नेता टीका प्रसाद मैखुरी ने भी निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला करते हुए चुनाव प्रचार अभियान भी शुरू कर दिया है. बीजेपी उम्मीदवार अनिल नौटियाल गौचर के निवासी है, जबकि कांग्रेस प्रत्याशी मुकेश नेगी भी गौचर नगर क्षेत्र के ही निवासी हैं. अब कर्णप्रयाग विधानसभा क्षेत्र में राष्ट्रीय पार्टियों से टिकट की दावेदारी कर रहे जिन प्रत्याशीयों के टिकट कटे हैं वे क्या गुल खिलाएंगे  अब इस राजनीति की गलाकाट प्रतिस्पर्धा में चुनावी ऊंट किस करवट बैठेगा यह आने वाले समय में मतगणना के दिन ही स्पष्ट हो पाएगा.


प्रत्याशी चयन कांग्रेस बीजेपी के लिए था मुश्किल
बता दे कि चमोली की कर्णप्रयाग विधानसभा में टिकट आवंटन होने से पहले बीजेपी और कांग्रेस में दावेदारों की लंबी सूची थी जिससे बीजेपी और कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व के समक्ष कर्णप्रयाग सीट पर किसी भी प्रत्याशी का चयन करना गले की हड्डी बनी थी. दो विकासखंडों कर्णप्रयाग और गैरसैण में बंटी कर्णप्रयाग विधानसभा में बीजेपी से घोषित उम्मीदवार अनिल नौटियाल दो बार विधानसभा का नेतृत्व कर चुके हैं. वहीं नौटियाल के द्वारा वर्ष 2012 में बीजेपी के घोषित उम्मीदवार हरीश पुजारी के खिलाफ केतली चुनाव चिन्ह पर निर्दलीय चुनाव लड़ा था जिससे उस दौरान बीजेपी प्रत्याशी की हार तो हुई ,लेकिन अनिल नौटियाल भी निर्दलीय तौर पर चुनाव नहीं जीत पाए. बीजेपी की आपसी लड़ाई का सीधा फायदा कांग्रेस के उम्मीदवार डॉ. अनुसूया प्रसाद मैखुरी को मिला और वे कर्णप्रयाग विधानसभा से विधायक चुने गए.


कांग्रेस बीजेपी में गुटबाजी
इस बार के चुनावों में भी अंदरखाने कांग्रेस और बीजेपी की गुटबाजी सामने आ रही हैं. लम्बे समय से कर्णप्रयाग सीट पर विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे बीजेपी नेता टीका प्रसाद मैखुरी ने टिकट न दिए जाने पर निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा करने के साथ ही क्षेत्र में  डोर टू डोर कैंपनिंग शुरू कर दी हैं. मैखुरी के चुनाव लड़ने से बीजेपी को ही नुकसान उठाना पड़ेगा क्योंकि वे बीजेपी के लम्बे समय से जमीनी कार्यकर्ता रहें हैं और वे बीजेपी के ही वोटों को प्रभावित करेंगे. गैरसैण में बीजेपी के संस्थापक कहे जाने वाले बाग सिंह रावत के पुत्र और गैरसैण से जिला पंचायत सदस्य बलवीर रावत के द्वारा भी निर्दलीय उम्मीदवारी जताए जाने की चर्चाएं तेज हैं जो कि बीजेपी उम्मीदवार के लिए ही मुश्किलें पैदा करेगा. कर्णप्रयाग सीट से ही टिकट की मांग कर रहे रहे राकेश कुमार डिमरी, रामचंद्र गौड़ और पंकज डिमरी जैसे युवा और वरिष्ठ नेताओं का क्या रूख रहेगा वह प्रचार प्रसार के दौरान ही स्पष्ट हों पाएगा हालंकि उन लोगों के द्वारा अभी तक कोई भी प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है.


सतीश लखेड़ा के समर्थक भी कह रहे निर्दलीय चुनाव लड़ें
अब कर्णप्रयाग सीट से ही बीजेपी से दावेदारी कर रहे एक ऐसे उम्मीदवार भी थे जो पिछले साल कोरोना संक्रमण काल से निरंतर क्षेत्र में बने हुए थे. बीजेपी राष्ट्रीय मीडिया टीम के नेता और राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी के करीबी सतीश लखेड़ा को टिकट न मिलना भी चर्चा का विषय बना हुआ है. लोग यह भी कह रहे हैं कि प्रधानमंत्री मोदी के बेहद खास अनिल बलूनी के खास सहयोगी का टिकट कटना आश्चर्यजनक है. जबसे बीजेपी ने कर्णप्रयाग सीट से अनिल नौटियाल को प्रत्याशी घोषित किया हैं. ऐसा बताया जा रहा है कि तबसे ही सतीश लखेड़ा का मोबाइल नंबर बंद जा रहा है. बताया यह जा रहा है कि वे बेंगलुरु में अपना माइग्रेन का उपचार करा रहे हैं और जल्द बीजेपी के चुनाव प्रचार में भाग लेंगे, लेकिन सियासती खबरें यह भी आ रही हैं कि लखेड़ा का भी टिकट काटे जाने के बाद बीजेपी और कांग्रेस पार्टी सहित अन्य दलों में उनके समर्थक उन्हें निर्दलीय चुनाव लड़ने के लिए कह रहे हैं.


सुरेंद्र चुनाव लड़े तो नौटियाल को होगा नुकसान
बीजेपी के मौजूदा विधायक सुरेंद्र सिंह नेगी की बात करें तो उन्होंने भी बीजेपी से टिकट कटने के बाद अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं .हालाकि सोशल मीडिया के जरिए उन्होंने बड़ा निर्णय लेने की बात कही हैं. अगर वह निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला लेते हैं तो गैरसैंण से अनिल नौटियाल का वोट बैंक प्रभावित होगा क्योंकि नौटियाल की पूर्व से गैरसैण क्षेत्र में अधिक सक्रियता है ,वहीं अगर विधायक सुरेंद्र सिंह नेगी टिकट कटने की नाराजगी में बीजेपी से बगावत कर कांग्रेस उम्मीदवार मुकेश नेगी या गैरसैण से ही टिकट न मिलने से नाराज बगावती रूख अपना चुके वरिष्ठ कांग्रेसी नेता सुरेश बिष्ट का निर्दलीय चुनाव लड़ने पर समर्थन करते हैं तो बीजेपी के लिए कर्णप्रयाग सीट से चुनाव जीतना बड़ी चुनौती साबित हो सकता है.


कांग्रेस में अंदर क्या चल रहा
कर्णप्रयाग विधानसभा में कांग्रेस पार्टी में भी कुछ ठीक नही चल रहा है. गौचर से पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष रहे मुकेश नेगी का कांग्रेस पार्टी से टिकट फाईनल होने के बाद से पार्टी में अंदर हालात ठीक नही हैं. कांग्रेस के वयोवृद्ध नेता भुवन नौटियाल का रूख क्या होगा यह समय बताएगा, क्योंकि नौटियाल पूर्व विधायक शिवानंद नौटियाल के समय से ही कर्णप्रयाग विधानसभा के बहुत प्रभावी नेता रहे हैं. उन्होंने ही कांग्रेस नेता मनीष खंडूरी के कर्णप्रयाग से चुनाव लड़ने की इच्छा का सबसे कड़ा विरोध  किया था. अब गैरसैण से ही कांग्रेसी नेता सुरेश बिष्ट ने भी टिकट कटने के बाद पार्टी के खिलाप बगावत का झंडा बुलंद कर दिया हैं.


गैरसैण निवासी सुरेश बिष्ट का टिकट काटे जाने के विरोध में गैरसैंण ब्लॉक कांग्रेस कमेटी भी इस्तीफा देने के बाद सुरेश बिष्ट के पक्ष में खड़ी हो गई हैं. जिससे कांग्रेस पार्टी के सामने भी मुश्किलें खड़ी हो गई हैं. बता दे कि कर्णप्रयाग विधानसभा में करीब 94,000 महिला पुरुष मतदाता हैं, जिसमें से अकेले ही  65,000 के करीब मतदाता गैरसैण ब्लॉक में हैं. जिससे गैरसैण के लोगों की नाराजगी ने कांग्रेस के उम्मीदवार पर भी संकट के बादल खड़े कर दिए हैं. कर्णप्रयाग विधानसभा क्षेत्र में क्षेत्रवाद, जातिवाद की राजनीति बड़ी हावी रहती हैं. ब्राह्मण और ठाकुरवाद की राजनीति का कर्णप्रयाग विधानसभा में बड़ा प्रभाव हैं .साथ ही भितरघात और अंदरूनी तोड़फोड़  भी चुनावों के परिणाम को किस ओर ले जाते हैं यह अभी भविष्य की गर्त में समाया हैं.


ये भी पढ़ें:


RPN Singh: कांग्रेस छोड़ने के बाद आरपीएन सिंह ने दिया बड़ा बयान, मोदी-शाह को लेकर कही ये बात


UP Election 2022: मुरादाबाद की सभी 6 सीटों पर सपा ने उतारे मुस्लिम उम्मीदवार, दो मौजूदा विधायकों के टिकट कटे