Uttarakhand Landslide News: उत्तराखंड के चमोली जिले में भूस्खलन और घरों दरारें आने सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रही है. जोशीमठ (Joshimath) की तरह ही थराली तहसील के पैनगढ़ गांव  (Panagarh Village) के भूस्खलन (Landslide) और घरों में आ रही दरारों ने लोगों की परेशानी बढ़ा दी है. हालात ये है कि लोक पिछले कई माह से अपने मकानों को छोड़कर शरणार्थी का जीवन जीने को मजबूर हैं. 


पीढ़ियों से रह रहे थे लोग


कर्णप्रयाग-अल्मोड़ा राष्ट्रीय राजमार्ग पर थराली के पास पिण्डर नदी के बाएं तट पर पुरानी बसावटों में शामिल पैनगढ़ गांव के 40 से अधिक परिवार बेघर हो चुके हैं. ये लोग अपने आशियाने को छोड़कर दूसरी जगहों पर शरण लिए हुए हैं. गांव में कुल 90 परिवार हैं, जो पीढ़ियों से वहां रह रहे थे. 


केदारनाथ आपदा के बाद से बिगड़ने लगे हालात


वैसे तो गांव पर खतरे की शुरुआत 2013 में आई केदारनाथ आपदा के समय से ही शुरू हो गयी थी, लेकिन अक्टूबर 2021 में इसने खतरनाक रूप ले लिया. इस गांव के निवासी गोपालदत्त ने बताया कि अक्टूबर 2021 में गांव के ठीक उपर स्थित चोटी से शुरू होने वाले चीड़ के जंगल से पहले पड़ने वाले खेतों में दरारें उभर आयीं. धीरे-धीरे ये दरारें जंगल तक पहुंच गई. उन्होंने बताया कि ये दरारें शुरुआत में छोटी थीं, लेकिन साल भर में जमीन में दरारों के साथ गड्ढे भी बन गए और इसने आपदा का रूप ले लिया. उन्होंने बताया कि 21 अक्टूबर 2022 की रात दरारों वाले इलाके की धरती खिसकनी शुरू हो गई, जहां से बड़े-बड़े बोल्डर फिसल कर उनके गांव पर गिरने लगे, जिससे कई मकान ध्वस्त हो गए. उन्होंने बताया कि इन्हीं ध्वस्त मकानों में दबकर चार व्यक्तियों की मौत भी हो हो गयी थी. मलबे की चपेट में पैनगढ़ का आधा हिस्सा आ चुका है और चार महीने पहले हुए हादसे के बाद खतरे वाले इस हिस्से में रह रहे गांव के 40 परिवार अपने घरों को छोड़कर दूसरे स्थानों पर शरण लिए हुए हैं.


राहत शिविर में तब्दील हुआ स्कूल  


घरों को छोडने को मजबूर राजेंद्र राम और नारायण दत्त ने बताया कि कुछ परिवारों ने गांव के स्कूल में शरण ले रखी है, जबकि कुछ ने अपने रिश्तेदारों के यहां शरण ले रखी है. हादसे के बाद से गांव का एकमात्र राजकीय प्राथमिक विद्यालय राहत शिविर में बदल गया है, जिसके कारण उसका संचालन लगभग एक किलोमीटर दूर जूनियर हाईस्कूल भवन से हो रहा है.पांच से ग्यारह साल की उम्र के बच्चे अब शिक्षा ग्रहण करने के लिए एक किलोमीटर पैदल आते-जाते हैं. उन्हें रास्ते में एक छोटी नदी भी पार करनी होती है. थराली विकास खण्ड के खण्ड शिक्षा अधिकारी आदर्श कुमार ने बताया कि इस भवन से फिर से विद्यालय संचालित करने के बारे में फिलहाल कोई प्रस्ताव नहीं है और जिला प्रशासन की ओर से गांव के पुनर्वास को लेकर कोई नीति तय होने के बाद भी इस बारे में कुछ कहा जा सकता है.


टिन शेड के नाम पर धोखा


चमोली के जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी एनके जोशी ने कहा कि आपदा राहत के तहत गांव के सुरक्षित स्थान पर टिन शेड का निर्माण किया गया है, जिसमें आपदा पीड़ितों को रखा जाएगा. हांलांकि, गांव के सुरेन्द्रलाल ने कहा कि यह टिन शेड ऐसे स्थान पर बन रहा है, जो चीड़ के जंगलों से घिरा है और यहां न पानी की व्यवस्था है और न ही बिजली की. उन्होंने कहा कि वहां जाने का पैदल रास्ता भी नहीं है और गर्मियों में चीड़ के इस इलाके में हर समय आग की चपेट में आने का खतरा रहता है. इसे लोगों ने टिन शेड के नाम पर धोखा करार दिया है. 


गांव में रहने वाले लोग हुए परेशान


गोपाल दत्त ने कहा कि राज्य सरकार से मकान बनाकर देने का आग्रह किया जा रहा है, लेकिन अब तक बात आगे नहीं बढ़ी है. सुरेंद्र लाल ने कहा कि आपदा राहत के नाम पर चार माह पहले पांच हजार रुपये की मदद की गई थी.गांव के खतरे की जद में आने के बाद भू-वैज्ञानिकों ने इलाके का सर्वेक्षण भी किया था, लेकिन उसकी रिपोर्ट के बारे में कुछ पता नहीं चल पाया. सेना से आनरेरी कैप्टेन के पद से सेवारत हुए जगमोहन सिंह गड़िया का मकान भी खतरे की जद में हैं. वह कहते है कि गांव से पलायन न करने का प्रण अब उनके लिए कष्टदायक बन गया है.


प्रशासन अब भी बना रहा है योजना


जिला आपदा प्रबंधन अधिकरी ने कहा कि पैनगढ़ में भूस्खलन से क्षतिगस्त मकानों का नियमानुसार मुवावजा दिया गया है. बाकी 44 परिवारों को विस्थापन नीति के अनुसार पुनर्वास किया जा रहा है. इसके लिए जगह चिन्हित करने की कार्यवाही जारी है.


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