Uttarakhand News: चमोली (Chamoli) जिले में विश्व धरोहर 'फूलों की घाटी' (Flower Valley) के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है. यह खतरा घाटी के ही एक फूल ने पैदा किया है. पिछले दो दशक से यह फूल घाटी के लिए शूल का काम कर रहा है, जिस पॉलीगोनम (Polygonum) नामक झाड़ीनुमा फूल (Bushy Flower) ने यहां डेरा डाला उसका विस्तार थमने का नाम नहीं ले रहा है. अब यह करीब दो किलोमीटर के दायरे में फैल गया है. पिछले साल तक इसको वन विभाग ने तीन बार हटाया था, लेकिन बजट के अभाव में इस साल इसको हटाने का काम ही शुरू नहीं हुआ और यह बढ़कर दो मीटर से भी बड़ा हो गया है, इसके आसपास के फूलों को यह तेजी से निगल रहा है.
पिछले आठ सालों से जूझ रहा है वन विभाग
अपने आसपास की वनस्पतियों को खत्म कर देने की इसकी प्रवृत्ति इस राष्ट्रीय उद्यान के लिए खतरे का सबब बन सकती है. पिछले आठ साल से वन विभाग इससे पार पाने की कोशिशों में जुटा है, लेकिन अभी तक सफलता नहीं मिल पाई है. चमोली जिले में सिखों के प्रमुख धार्मिक स्थल हेमकुंड साहिब मार्ग पर घांघरिया से पांच किलोमीटर के फासले पर 87.50 वर्ग किमी में फैली है फूलों की घाटी. उच्च हिमालयी क्षेत्र में स्थित इस घाटी में फूलों की 500 से अधिक प्रजातियां मिलती हैं. वर्तमान में भी यह फूलों से लकदक है और इसका आकर्षण सैलानियों को अपनी ओर खींच रहा है. इस साल एक जून को घाटी के दरवाजे खुलने के बाद से यहां देशी-विदेशी पर्यटकों का आना जारी है.
पॉलीगोनम ने बढ़ा दी है चिंता
रंग-बिरंगे फूलों की बिखरी छटा के बीच घाटी में खिले पॉलीगोनम ने चिंता बढ़ा दी है. पॉलीगोनम को अमेला अथवा नटग्रास भी कहते हैं. घाटी से लौटे पर्यटक बताते हैं कि वर्तमान में पुष्पगंगा से आगे प्रियदर्शनी तोक तक करीब दो किलोमीटर के दायरे में पॉलीगोनम पसरा हुआ है. यह 65 हेक्टेयर तक से अधिक क्षेत्र में अपना विस्तार कर चुका है जल्द इसका उन्मूलन नहीं किया गया पूरी घाटी यह फैल सकता है.
2008 से ही इसे हटाने में जुटा है प्रशासन
फूलों की घाटी में पॉलीगोनम का खतरा दो दशक से अधिक समय से पहले तब मंडराया, जब घाटी से लौटे पिछले सैलानियों ने इस नए फूल का जिक्र किया. पड़ताल हुई तो यह पॉलीगोनम निकला. नंदा देवी बायोस्फीयर रिजर्व के डीएफओ चंद्रशेखर जोशी बताते हैं कि भले ही पॉलीगोनम झाड़ीनुमा फूल प्रजाति है, लेकिन इसका विस्तार तेजी से होता है. दो मीटर तक की लंबाई वाला सफेद फूल लिए इसका झाड़ दूसरे पौधों को पनपने नहीं देता. वह कहते हैं कि इसका फैलाव रोकने के लिए कार्ययोजना बनाकर वर्ष 2008 से इसे उखाड़ने का काम चल रहा है. हर साल 40-50 हेक्टेयर क्षेत्र में पॉलीगोनम को नष्ट किया जाता है, लेकिन यह कहीं न कहीं रह जाता है. इस बार भी हम कोशिश करेंगे.
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