Uttarakhand Assembly Election 2022: जन भावनाओं से जुड़ा मुद्दा रहा गैरसैण इस बार चुनावों से बाहर हो गया है. शायद सियासी दलों को अब गैरसैण याद नही है जबकि चुनावों के दौरान राजनीतिक दल गैरसैण के नाम पर खूब वोट बटोरने का काम करते रहे है. मतलब साफ है गैरसैंण अब राजनीतिक दलों के लिए गैर हो गया है.


उत्तराखंड में विधानसभा चुनावों के लिए मात्र कुछ दिन का वक्त बचा है ऐसे में तमाम मुद्दे उठाये जा रहे हैं और एक दूसरे पर जमकर कटाक्ष भी किया जा रहा है लेकिन कभी राजनीति का सबसे हॉट मुद्दा रहा गैरसैंण अब हर दल के लिए गैर हो गया है. 


गैरसैंण की बात कोई नहीं कर रहा
चुनावी माहौल में कोई भी सियासी दल गैरसैंण की बात तक नहीं कर रहा है. बीजेपी ने गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी जरूर बनाया है लेकिन स्थाई राजधानी के नाम पर आज भी बीजेपी-कांग्रेस चुप्पी साधे हैं. 2012 के चुनाव में कांग्रेस ने गैरसैंण को लेकर बड़े-बड़े वादे किए थे लेकिन इस चुनाव में कांग्रेस शांद है तो बीजेपी का दावा है कि गैरसैंण को लेकर पार्टी ने  2017 में जो वादा किया था वह पूरा कर दिया है और उसका विकास आगे भी जारी रहेगा. वहीं कांग्रेस का कहना है कि चुनावी घोषणा पत्र में गैरसैण को लेकर बड़ा वायदा किया जाएगा और पार्टी गैरसैंण को स्थाई राजधानी बनाएगी.


स्थाई राजधानी का मुद्दा गूंज रहा
2012 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने गैरसैंण को स्थाई राजधानी बनाने का वादा किया लेकिन 5 साल तक कांग्रेस गैरसैण को स्थाई राजधानी नहीं बना पाई. हालांकि गैरसैंण में विधान भवन के निर्माण का श्रेय कांग्रेस को ही जाता है. इतना ही नहीं गैरसैण में पहला विधान सभा सत्र भी कांग्रेस ने चलाया लेकिन बीजेपी की त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार ने गैरसैंण को ग्रीमकालीन राजधानी घोषित कर बढ़त बना ली. गैरसैंण को स्थाई राजधानी का मुद्दा आज भी गूंज रहा है हालांकि यूकेडी और आप ये दावा कर रहे हैं कि सत्ता में आते ही गैरसैंण को स्थाई राजधानी बनाया जाएगा.


चुनावी एजेंडे से बाहर गैरसैंण
उत्तराखंड में गैरसैंण को स्थाई राजधानी बनाने की मांग लंबे समय से चली आ रही है. ये बात भी सही है कि गैरसैंण को लेकर आज तक राजनितिक दल एक राय नहीं बना पाए हैं.  उत्तराखंड में गैरसैंण राजनीतिक दलों के लिए वोट बैंक का सबसे हॉट मुद्दा रहा है. राज्य गठन से लेकर अब तक गैरसैंण के नाम पर बीजेपी और कांग्रेस ने खूब वोट बटोरे लेकिन इस बार दोनों ही दलों के चुनावी एजेंडे से गैरसैंण बाहर होता नजर आ रहा है.


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