Champawat ByPolls: विधानसभा उपचुनाव से पहले CM पुष्कर सिंह धामी का बड़ा बयान, जानिए क्या कहा
Uttarakhand News: चंपावत में 31 मई को होने वाले विधानसभा उपचुनाव से पहले उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि वह अब भी भंवर में फंसे हुए हैं.
Champawat ByPolls: चंपावत (Champawat) में 31 मई को होने वाले विधानसभा उपचुनाव से पहले उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी(Pushkar Singh Dhami) ने शनिवार को कहा कि वह अब भी भंवर में फंसे हुए हैं. यहां पूर्व प्रदेश पुलिस महानिदेशक अनिल रतूड़ी की पहली पुस्तक 'भंवर' एक प्रेम कहानी’ का विमोचन करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, “भंवर हम सबके जीवन में आता है. मैं कुछ दिन पहले भंवर में फंसा था और अब भी भंवर में ही फंसा हुआ हूं.” धामी के यह कहते ही पूरा सभागार ठहाकों से गूंज उठा.
चंपावत उपचुनाव का जिक्र नहीं किया
हालांकि, मुख्यमंत्री ने चंपावत उपचुनाव का जिक्र नहीं किया, जहां से वह विधायक बनने की दौड़ में शामिल हैं. बता दें कि फरवरी में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी को जीत की दहलीज तक पहुंचाने वाले धामी खुद खटीमा सीट से हार गए थे. हालांकि, ‘उत्तराखंड फिर मांगे, मोदी-धामी की सरकार’ के नारे पर चुनाव लड़ने वाली बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व ने धामी पर एक बार फिर भरोसा जताते हुए मुख्यमंत्री पद की बागडोर उन्हें ही सौंपी. संवैधानिक बाध्यता के चलते धामी को शपथ ग्रहण के छह माह के भीतर विधानसभा का सदस्य निर्वाचित होना है. धामी ने 23 मार्च को दूसरी बार प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी.
'जहां राधा होंगी, वहां प्रेम तो होगा ही'
उपचुनाव का मार्ग प्रशस्त करने के लिए चंपावत से बीजेपी विधायक कैलाश गहतोड़ी ने इस्तीफा दे दिया था. धामी ने कहा कि एक वर्दीधारी अफसर जब प्रेमकथा लिखता है तो उसके हृदय में किस प्रकार की भावनाएं होंगी, यह रतूड़ी की पुस्तक में दिखता है.इस संबंध में मुख्यमंत्री ने प्रदेश के अपर मुख्य सचिव पद पर तैनात उनकी आईएएस पत्नी राधा रतूड़ी का भी जिक्र किया और कहा, ‘जहां राधा होंगी, वहां प्रेम तो होगा ही.’
धामी ने कहा कि पूर्व पुलिस अधिकारी ने अपनी पुस्तक में बचपन से लेकर अब तक के जीवन के अनुभवों और घटनाओं के बारे में लिखा है. साहित्य में अपनी दिलचस्पी का जिक्र करते हुए धामी ने कहा कि वह समझ सकते हैं कि काम और दायित्व के दबाव के बीच अपनी साहित्यिक अनुभूतियों और खुद को बचाकर रखना कितना कठिन है, लेकिन अच्छी बात यह है कि रतूड़ी एक अच्छे इनसान बने हुए हैं.
विमोचन कार्यक्रम में मौजूद साहित्यकारों ने भी पुस्तक की प्रशंसा करते हुए इस बात का विशेष जिक्र किया कि रतूड़ी उस श्रेणी में आते हैं, जिनमें शामिल लेखकों ने अंग्रेजी माध्यम का छात्र होने के बावजूद साहित्य सृजन के लिए अपनी मातृभाषा हिंदी को चुना. वरिष्ठ साहित्यकार पद्मश्री लीलाधर जगूड़ी ने लेखक की प्रशंसा करते हुए कहा कि उन्होंने पुस्तक के नायक को आईएएस अधिकारी के पात्र में पेश किया है, जो ईमानदारी से अपने कतर्व्यों के निर्वहन के दौरान सरकारी तंत्र से जूझता है.
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