Chandauli: जान जोखिम में डालकर सैकड़ों लोग पार करते हैं मुसाखाड़ और मंगरौर पुल, चौंकानेवाला खुलासा
चकिया इलिया मार्ग पर मंगरौर गांव के पास बना पुल भी बहुत पुराना हो चुका है. पुल के पास बकायदा बोर्ड लगाकर लोगों को सूचित किया जा रहा है. बोर्ड पर लिखा है, "पुल बहुत पुराना और सकरा है, धीरे चलें."
Chandauli News: प्रदेश सरकार की जांच के दौरान चंदौली में 4 पुल क्षतिग्रस्त पाये गए हैं. ABP गंगा की टीम ने दो पुलों का निरीक्षण कर हकीकत जानने की कोशिश की. पड़ताल में पता चला कि मुसाखाड़ और मंगरौर पुल सबसे ज्यादा क्षतिग्रस्त हैं. मुसाखाड़ पुल कभी भी टूट कर गिर सकता है. पावा ज्यादा क्षतिग्रस्त होने के बावजूद आवागमन पर रोक नहीं है. लोग जान जोखिम में डालकर पुल से आवाजाही करते हैं. मंगरौर पुल पर किये गए बैकरेटिंग टूटे पड़े हैं. मुसाखाड़ गांव के पास बने पुल से 2 दर्जन गांव की हजारों आबादी रोजाना गुजरती है.
हादसे को न्योता दे रहे क्षतिग्रस्त पुल
पुल से चंदौली मुख्यालय, मुगलसराय वाराणसी और बिहार की तरफ जाया जा सकता है. पुल को बनाने में इस्तेमाल सरिया, सीमेंट और पत्थर सरकारी अफसरों की बंदरबाट का नजारा पेश करते हैं. 5 से 6 पावा पूरी तरह टूट गए है. चकिया इलिया मार्ग पर मंगरौर गांव के पास बना पुल भी बहुत पुराना हो चुका है. पुल के पास बकायदा बोर्ड लगाकर लोगों को सूचित किया जा रहा है. बोर्ड पर लिखा है, "पुल बहुत पुराना और सकरा है, धीरे चलें." पुल के ऊपर बनी रेलिंग भी टूटी हुई है. पुल से 50 फीट नीचे गिरने पर बच पाना असंभव है.
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सैकड़ों लोगों का होता है आवागमन
सैकड़ों आबादी का पुल से गुजर होता है. बगल में पांच किलोमीटर की दूरी पर बिहार का बॉर्डर है. हादसा होने पर बड़ी जनहानि हो सकती है. जनपद चंदौली के सकलडीहा निवासी और उत्तर प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री अनिल राजभर ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मोरबी पुल हादसे से सबक लिया है. उत्तर प्रदेश सरकार ने सभी जनपदों के पुलों की जांच कराने का आदेश जारी किया था. जांच के दौरान पूरे प्रदेश में 25 पुल असुरक्षित पाए गए.