भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद ने गोरखपुर सदर से चुनाव लड़ने का ऐलान किया है. इस सीट से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी चुनाव लड़ रहे हैं. जहां एक तरफ चंद्रशेखर आजाद पहली बार चुनावी मैदान में उतर रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ योगी आदित्यनाथ भी पहली बार विधानसभा का चुनाव लड़ रहे हैं. वह साल 1998 से लेकर साल 2017 तक गोरखपुर लोकसभा सीट से सांसद थे. मुख्यमंत्री बनने के बाद योगी आदित्यनाथ यूपी विधानपरिषद के सदस्य बने थे.


साल 2015 में पहली बार चंद्रशेखर आजाद सुर्खियों में आए थे. साल 2021 में टाइम मैगजीन ने चंद्रशेखर आजाद को 100 प्रभावशाली व्यक्तियों की लिस्ट में शामिल किया था. आज की स्टोरी में हम चंद्रशेखर आजाद के बारें में बताने जा रहे हैं कि कैसे उन्होंने भीम आर्मी को खड़ा किया. 


चंद्रशेखर आजाद का जन्म 3 दिसंबर साल 1986 में सहारनपुर स्थित घडकौली गांव में हुआ था. उनके पिता गोवर्धन दास सरकारी स्कूल में मास्टर थे. वहीं उनकी मां कमलेश देवी गृहणी हैं. वह पांच भाई बहन हैं. चंद्रशेखर आजाद ने देहरादून से लॉ की पढ़ाई की है. वे आगे की पढ़ाई के लिए अमेरिका जाना चाहते थे लेकिन सहारनपुर के अस्पताल में पिता के इलाज के दौरान दलितों पर हो रहे अत्याचारों को देखते हुए उन्होंने दलित एक्टिविस्ट बनने का फैसला लिया.


भीम आर्मी की स्थापना


भीम आर्मी  की स्थापना दलित एक्टिविस्ट सतीश कुमार, चंद्रशेखर आजाद, विनय रतन आर्य ने साल 2014 में की थी. भीम आर्मी के कार्यकर्ताओं के अनुसार ये दलितों की शिक्षा के लिए काम करता है. भीम आर्मी मुख्य रूप से यूपी में काम करती है. यह पहली बार साल 2017 में चर्चा में आई थी. जब जाति संघर्ष हिंसा के आरोप में चंद्रशेखर आजाद को गिरफ्तार किया गया था. भीम आर्मी के जैसे एक और अंबेडकर सेना भी है. हालांकि अंबेडकर सेना हरियाणा और पश्चिमी यूपी गढ़ में एक्टिव है. चंद्रशेखर आजाद ने सोशल मीडिया के जरिए कई युवाओं को भीम आर्मी के साथ जोड़ा है.
 
द ग्रेट चमार्स लिखने पर हुआ था विवाद


साल 2015 में चंद्रशेखर आजाद ने अपने गांव में धड़कौली वेलकम यू द ग्रेट चमार्स का बोर्ड लगाया था जिसके बाद गांव के ठाकुर और दलितों के बीच तनाव पैदा हो गया. साल 2016 में सहारनपुर के छुटमलपुर के एएचपी इंटर कॉलेज में दलित छात्रों की पिटाई के बाद भीम आर्मी ने विरोध प्रदर्शन किया था.  इसके अलावा 5 मई साल 2017 को शब्बीपुर में ठाकुर और दलितों के बीच हिंसा भड़क गयी. इस दौरन 25 दलितों के घर जला दिया गया था. जब इस हिंसा का विरोध प्रदर्शन किया गया तो युपी पुलिस ने 300 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया और 37 लोगों को जेल में डाला था.


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