Chandrashekhar Azad News: कांवड़ यात्रा रूट पर दुकानदारों के नाम लिखने के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम रोक लगा दी है. कोर्ट ने कहा कि दुकानदारों को अपना नाम या पहचान उजागर करने की जरूरत नहीं है. सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश पर आजाद समाज पार्टी के मुखिया और नगीना लोकसभा सीट से सांसद चंद्रशेखर आजाद का बयान सामने आया है.


नगीना के सांसद ने कोर्ट के इस फैसले का स्वागत किया. उन्होंने कहा "दुकानदारों को मालिकों के नाम लिखने वाले" मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के हिटलरी फरमान पर माननीय उच्चतम न्यायालय की रोक लगाना, संविधान के आधार पर किसी भी प्रकार का भेदभाव नही होगा के सिद्धांत को मजबूत करना है. संविधान की जीत हुई है. फैसले का हम स्वागत करते है. सांप्रदायिकता मुर्दाबाद, भाई चारा जिंदाबाद. 



सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर बोले चंद्रशेखर आजाद
चंद्रशेखर आजाद ने इस दौरान यूपी तक से भी इस मुद्दे पर बात की और कहा कि हमें सुप्रीम कोर्ट से बहुत उम्मीदें है कि जब सत्ता तानाशाही पर उतर आएगी और संयोग प्रयोग में आ जाएगी तो हम सुप्रीम कोर्ट के पास जा सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने ये ऑर्डर इसलिए दिया क्योंकि आप गलत करने की कोशिश कर रहे थे. हमारे साथी सुप्रीम कोर्ट गए थे उन्हें बधाई कि उन्होंने जनहित के मुद्दे को उठाया. 


आसपा सांसद ने कहा कि हम तो सरकार की सदबुद्धि के लिए प्रार्थना भी करते रहते हैं लेकिन, पता नहीं हमारी प्रार्थना लखनऊ पहुँचती है या नहीं. जैसा सुना गया कि दुकानों से कई कर्मचारियों को निकाल दिया गया तो उनके परिवार का क्या होगा. उन्हें नया रोजगार कहां से मिल जाएगा. उनकी तमाम जरूरतों का क्या होगा. आप किसी का रोजगार छीन रहे हो तो आप उसे काम दो ना. आप क्या करना चाहते हैं. बस प्रयोग किया जा रहा है देश अब समझ गया है.


स्वामी प्रसाद मौर्य ने ये कहा


वहीं राष्ट्रीय शोषित वंचित समाज पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने भी सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर प्रतिक्रिया दी और कहा, 'मा0 सर्वोच्च न्यायालय ने भा.ज.पा. शासित कुछ राज्यों द्वारा नेम प्लेट लगाये जाने के आदेश को रोक लगाकर संविधान व सांप्रदायिक सौहार्द की रक्षा की है. मा0 सर्वोच्च न्यायालय के इस निर्णय का मैं स्वागत करता हूं मैं तो पहले से ही कह रहा था कि भा.ज.पा सरकार का यह निर्णय असंवैधानिक है.



बता दें कि योगी आदित्यनाथ सरकार ने पूरे यूपी में कांवड़ यात्रा मार्ग पड़ने वाली दुकानों पर नाम लिखने का आदेश दिया था. ताकि कांवड़ यात्रियों की शुचिता बनी रहे. यूपी की तर्ज पर उत्तराखंड में भी इसी तरह के आदेश जारी किए गए थे. जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम रोक लगा दी है वहीं दोनों राज्यों की सरकारों को नोटिस भेजकर जवाब भी तलब किया है. कोर्ट ने कहा कि दुकानों पर नाम उजागर करने की जरूरत नहीं है. बस इतना बताया जाए कि खाना शाकाहारी है या मांसाहारी. 


सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश का चंद्रशेखर आज़ाद समेत तमाम विपक्षी दलों ने स्वागत किया है और इसे विपक्ष की जीत बता रहा है.