(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
'मैं इंडिया अलायंस के साथ से जीतता तो पूरी जिन्दगी...' चंद्रशेखर आजाद ने बताया क्यों नहीं लिया सपा-कांग्रेस का साथ
Chandrashekhar Azad News: चंद्रशेखर आजाद ने कहा, जीतने के मजा तो तब ही है जब सब आपके खिलाफ हों. सब खिलाफ थे इसलिए जीत का आनंद कुछ और है. हमारे लोगों में बड़ी खुशी है.
Chandrashekhar Azad in INDIA Alliance: उत्तर प्रदेश की नगीना लोकसभा सीट से सांसद चंद्रशेखर आजाद की जीत ने तमाम सियासी पंडितों को हैरान कर दिया है. ऐसे में समय में जब एक तरफ बीजेपी जैसी मजबूत पार्टी हो और दूसरी तरफ सपा-कांग्रेस का मजबूत इंडिया अलाइंस वहीं बहुजन समाज पार्टी भी मैदान थी. लेकिन, इतने दिग्गजों के बीच चंद्रशेखर आजाद ने भारी मतों से जीत दर्ज की. इंडिया अलाइंस ने भी उनका साथ नहीं दिया. ऐसे में क्या चंद्रशेखर को इस गठबंधन की कमी खली?
नगीना सांसद ने इंडिया अलाइंस को लेकर भी एएनआई के पॉडकास्ट में खुलकर बात की है. उन्होंने इंडिया अलाइंस से अलग होने और चुनाव लड़ने पर कहा कि "जीतने के मजा तो तब ही है जब सब आपके खिलाफ हों. सब खिलाफ थे इसलिए जीत का आनंद कुछ और है. हमारे लोगों में बड़ी खुशी है. उनका मानना है कि अगर हम इंडिया अलाइंस के साथ चुनाव जीतते रहते तो ये लोग पूरी जिंदगी हमें बोलते, जैसे कांशीराम जी के लिए कहते हैं कि वो मुलायम सिंह यादव ने मदद करके इटावा से सांसद बनाया था. तो अच्छा हुआ मैं इनके साथ नहीं था."
इंडिया गठबंधन को लेकर कही ये बात
चंद्रशेखर ने अपनी जीत में सभी लोगों को क्रेडिट देते हुए कहा कि मेरी मदद के लिए पूरे देश से पैसे आए. लोगों ने अपनी मेहनत की कमाई मुझे चुनाव लड़ने के लिए दी. हमारे देश में चुनाव लड़ना इतना आसान नहीं होता. चुनाव के लिए बहुत पैसा चाहिए होता है लेकिन भीम आर्मी के सदस्यों और देशभर से लोगों ने मुझे पैसा दिया.
चंद्रशेखर ने इस दौरान खुद को वोट कटवा कहने पर भी सवाल उठाए और कहा कि इंडिया अलाइंस भी ये दावा नहीं कर सकता कि मैंने उनके वोट काटे हैं. उन्होंने कहा कि हम सिर्फ दो सीटों पर ही चुनाव लड़े हैं. अगर मैं सारी सीटों पर चुनाव लड़ जाता तो क्या होता. लोग मेरे साथ इसलिए हैं क्योंकि मैं इंडिया और एनडीए दोनों में से किसी के साथ नहीं हूं.
बता दें कि लोकसभा चुनाव से पहले चंद्रशेखर आजाद को इंडिया गठबंधन से एक सीट मिलने की चर्चाएं ज़ोरों शोरों से चल रही थी लेकिन, आखिरी वक्त में समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव से उनकी बातचीत टूट गई और फिर उन्होंने अकेले ही चुनाव लड़ने का एलान कर दिया था. चंद्रशेखर न सिर्फ ये चुनाव मजबूती से लड़ा बल्कि बड़े अंतर से जीत भी हासिल की.
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