Chardham Yatra 2023: उत्तराखंड में शुरू हुई चारधाम यात्रा पूरी तरह से धार्मिक यात्रा है... मौज मस्ती या पिकनिक के तौर पर इसे नहीं देखा जाना चाहिए. देश के संत समाज का यही कहना है. दरअसल यह बात इसलिए उठी है क्योंकि बीते कई सालों से चारधाम यात्रा में बड़ा बदलाव देखा जा रहा है. देवभूमि में आने वाले तीर्थयात्री मौज-मस्ती के लिए पहाड़ों पर जाते हैं जिसे लेकर संतों के एतराज के बाद अधिकारियों ने भी देवभूमि में आने वाले श्रद्धालुओं से यात्रा की पवित्रता बनाए रखने की अपील की है.
एक दौर था जब श्रद्धालु अपने जीवन की सभी जिम्मेदारियों को निभा कर ही चारधाम की यात्रा के लिए जाते थे...आज की तरह उस दौर में ना तो सड़कें थीं ना ही हवाई सेवा. सुविधाएं बढ़ने के साथ ही चारधाम यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं में तेजी से इजाफा हुआ. भीषण गर्मी से राहत पाने के लिए लोग पहाड़ों का रुख करते हैं. हालात ये हैं कि हर साल चारधाम यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ती जा रही है. हालांकि इस बढ़ती संख्या में ज्यादातर लोग ऐसे होते हैं जो केवल मौज-मस्ती के लिए या पिकनिक के लिए चारधाम की यात्रा पर आए हैं इसको लेकर संत समाज में भारी गुस्सा है.
संतों का कहना है कि अगर लोगों को मौज-मस्ती या पिकनिक ही मनानी है तो वे चारधाम की यात्रा का बहाना लेकर न आएं. संतों ने लोगों से अपील की है कि वे इस धार्मिक यात्रा की पवित्रता बनाए रखें और यात्रा के दौरान नशा खोरी और विलासता से बचें.
पहले के मुकाबले चारधाम यात्रा अब बहुत सरल हो गई है... बढ़ी सुविधाओं से अब चंद दिनों में ही यात्रा पूर्ण हो जाती है.. इसलिए लोग पहाड़ों का रुख करते हैं. पहाड़ों पर बने महंगे और आरामदायक होटल भी यात्रा के दौरान लोगों को पिकनिक के लिए आकर्षित करते हैं. ऐसे में संतों का गुस्सा करना लाजमी है. पहाड़ों पर होने वाली ट्रैकिंग, कैंपिंग और स्कीइंग जैसे खेल भी इस आध्यात्मिक यात्रा की पवित्रता खो रहे हैं.. लिहाजा अधिकारी भी लोगों से अपील करते नजर आ रहे हैं.
'मर्यादा, पवित्रता और स्वच्छता बनाए रखें श्रद्धालु'
वरिष्ठ संत स्वामी अवधेशानंद गिरी जी ने यात्रा पर आने वाले लोगों से मर्यादा, पवित्रता और मां गंगा की स्वच्छता को बनाए रखने की अपील की. उन्होंने कहा कि तीर्थ में आने वाले यात्रियों के भीतर ये आस्था रहनी चाहिए कि पवित्रता रखी जाए, श्रद्धालु इधर-उधर कूड़ा-कचरा न फेंकें. उन्होंने कहा कि सिंगल यूज प्लास्टिक हमारे उत्तराखंड में बैन है इसलिये मैं यात्रियों से निवेदन करना चाहूंगा कि सिंगल यूज प्लास्टिक लेकर न आएं और यात्रा की पवित्रता, यहां की मूल परंपराओं का आदर करते हुए यात्रा को सम्मान दें.
'पिकनिक मनाने के लिए यात्रा पर ना आएं'
वहीं अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रविन्द्र पुरी जी ने कहा कि गंगोत्री और यमुनोत्री जी के कपाट खुल गए हैं, सभी श्रद्धालुओं को में उनकी यात्रा के लिए शुभकामनाएं देता हूं. उन्होंने कहा कि श्रद्धालु श्रद्धाभाव से ही यहां आएं, जो पिकनिक भाव से यात्रा में आना चाहते हैं वे घर पर ही रहें तो अच्छा है क्योंकि वे यहां आकर अव्यवस्था ही फैलाते हैं. उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों से धार्मिक भाव से आने वाले यात्रियों और प्रशासन को भी असुविधा होती है.
ये यात्रा पिकनिक का विषय नहीं है ये आत्मरंजन का विषय है. आत्मा का रंजन करने के लिए आध्यात्मिक यात्राएं की जाती हैं. पुरी जी ने कहा कि यहां का शासन-प्रशासन, साधु समाज, व्यापारी वर्ग सभी श्रद्धालुओं के स्वागत के लिए तत्पर हैं लेकिन यदि कुछ लोग अव्यवस्था फैलाते हैं तो प्रशासन को उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए.
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