प्रयागराज, एबीपी गंगा। विदेशी जमातियों को प्रयागराज की मस्जिद में छिपाने के आरोपी इलाहाबाद सेंट्रल युनिवर्सिटी के प्रोफ़ेसर मोहम्मद शाहिद पर कानूनी शिकंजा लगातार कसता जा रहा है। पुलिस ने दो मुकदमों में उनके खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर दी है। जिन दो मुकदमों में चार्जशीट दाखिल हुई है, उनमे एक विदेशी जमातियों को मस्जिद में छिपाने का मामला है तो दूसरा महामारी एक्ट का, जिसमे जमात में शामिल होने के बावजूद वह छिपकर अपने घर पर ही रह रहे थे।
चार्जशीट दाखिल होने के बाद प्रोफ़ेसर की मुश्किलें और बढ़ गईं हैं। अगर कोर्ट पुलिस की इस चार्जशीट को मंजूर करते हुए प्रोफ़ेसर के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दे देती है तो उनका जेल से बाहर आ पाना कतई आसान नहीं रह जाएगा। इतना ही नहीं अगर अदालत उन्हें गुनहगार मानते हुए किसी सज़ा का एलान करती है तो उनके नौकरी भी खतरे में पड़ जाएगी और युनिवर्सिटी से प्रोफेसर की बर्खास्तगी भी हो सकती है। पुलिस ने अपनी जांच में प्रोफ़ेसर शाहिद को दोनों ही मुकदमों में दोषी माना है। प्रोफ़ेसर को प्रयागराज पुलिस ने इसी साल इक्कीस अप्रैल को गिरफ्तार कर जेल भेजा था। फिलहाल उन्हें व सोलह विदेशी जमातियों समेत तीस लोगों को एक स्कूल में बनाई गई अस्थाई जेल में रखा गया है।
इलाहाबाद सेंट्रल युनिवर्सिटी के पॉलिटिकल साइंस डिपार्टमेंट के प्रोफ़ेसर मोहम्मद शाहिद मार्च महीने में दिल्ली में हुई तब्लीगी जमात में शामिल हुए थे। जमात से लौटने के बाद उन्होंने युनिवर्सिटी में इम्तहान कराया था और साढ़े तीन सौ से ज़्यादा स्टूडेंट्स के साथ ही तमाम शिक्षकों व कर्मचारियों के संपर्क में आए थे। सरकार व प्रशासन की अपील के बावजूद वह सामने नहीं आए थे और जमात में शामिल होने की बात छिपाकर घर में ही रह रहे थे। बाइस मार्च को नई दिल्ली से प्रयागराज पहुंचे सात इंडोनेशियाई जमातियों को उन्होंने ही प्रयागराज की एक मस्जिद में छिपाया था। बाद में एक जमाती कोरोना संक्रमित पाया गया था। हालांकि प्रोफ़ेसर की कोविड रिपोर्ट नेगेटिव आई थी। गिरफ्तार होने के बाद प्रोफ़ेसर शाहिद को युनिवर्सिटी से सस्पेंड कर दिया गया था।