#Chhapaak की लक्ष्मी का कानपुर से है ये गहरा नाता, ऐसे आया फिल्म बनाने का ख्याल
Chhapaak Movie: एडिट अटैक सर्वाइवर लक्ष्मी अग्रवाल की जिंदगी खुली किताब की तरह है, लेकिन क्या आप जानते हैं लक्ष्मी का कानपुर से गहरा नाता रहा है। फिल्म छपाक में भी इस गहरे रिश्ते की झलक आपको देखने को मिलेगी।
कानपुर, एबीपी गंगा। तमाम विवादों और विरोध के बीच दीपिका पादुकोण स्टारर फिल्म 'छपाक' रुपहले पर्दे पर रिलीज हो चुकी है। ये तो सब जानते है कि मेघना गुलजार के निर्देशन में बनी ये फिल्म एडिट अटैक सर्वाइवर लक्ष्मी अग्रवाल की जिंदगी पर आधारित है, लेकिन ये कम ही लोग जानते होंगे कि 'छपाक' की रियल स्टोरी कानपुर की छांव में पली और बढ़ी है। दरअसल, छपाक की रियल लक्ष्मी जब अपनी जिंदगी के सबसे कठिन और खौफनाक मंजर से गुजर रही थीं, तब कानपुर के आलोक दीक्षित की 'छांव फाउंडेशन' ने उनका हाथ थाम उनको अपना साथ दिया। ये वहीं फाउंडेशन है, जिसने साल 2013 में दिल्ली में 'Stop Acid Attack' अभियान की शुरुआत की। इसी फाउंडेशन के प्रयासों के चलते बिना पहचान पत्र के एसिड की बिक्री पर रोक लगी।
मेघना गुलजार की 'छपाक' की कहानी भी लक्ष्मी अग्रवाल और 'छांव फाउंडेशन' के 'Stop Acid Attack' अभियान से जुड़ी हुई है। इस अभियान को शुरू करने वाले आलोक दीक्षित कानपुर के कल्याणपुर के रहने वाले हैं। अलोक ने न सिर्फ लक्ष्मी का मुश्किल वक्त में साथ दिया, बल्कि उन्होंने जिंदगीभर के लिए उनका दामन थाम लिया। इन दोनों के रिश्ते और मोहब्बत ने समाज में एक नई मिसाल कायम की। कई साल तक रिश्ते में रहे लक्ष्मी और आलोक ने शादी कर ली और दोनों की एक प्यारी सी बेटी है, जिसका नाम 'पिहू' है।
एसिड अटैक सर्वाइवर टू फाइटर
छपाक में लक्ष्मी अग्रवाल का किरदार दीपिका पादुकोण (माल्ती) निभा रही हैं, जबकि आलोक दीक्षित (अमोल) का किरदार एक्टर विक्रांत मैसी ने अदा किया है। इस फिल्म में दिखाया गया है कि कैसे 16 साल की लक्ष्मी एसिड अटैक का शिकार होती है और कैसे छांव फाउंडेशन की मदद से लंबी कानूनी लड़ाई के बाद दोषियों को सजा मिलती है।
2015 में फिल्म के लिए मेघना गुलजार ने किया था संपर्क
ये फिल्म भले ही 2020 में रिलीज हुई हो, लेकिन इस फिल्म को बनाने का कांसेप्ट निर्देशक मेघना गुलजार के दिमाग में साल 2015 में ही आ गया था। मुंबई में आयोजित फिल्म के प्रीमियर के दौरान आलोक दीक्षित ने पत्रकारों से पूछे गए सवालों के दौरान बताया कि 'Stop Acid Attack' अभियान के बारे में जानने के बाद मेघना गुलजार इसपर फिल्म बनाना चाहती थीं। उन्होंने इसके लिए 2015 में ही मुझसे संपर्क किया था। उन्होंने इस अभियान से जुड़े वीडियो और फोटो भी मुझसे मांगे। जिसके बाद साल 2018 में फिल्म की शूटिंग शुरू हुई। आलोक ने बताया कि फिल्म की शूटिंग के दौरान वे काफी वक्त तक मुंबई में ही रहे। उन्होंने फिल्म बनाने के लिए और सच्चाई पर्दे पर लाने के लिए मेघना गुलजार की मेहनत की भी सराहना की। उन्होंने बताया कि उनका किरदार निभाने के लिए एक्टर विक्रांत मैसी ने करीब 11 किलो का वजन भी बढ़ाया था और दाढ़ी भी रखी।
कभी एयरफोर्स में थे आलोक दीक्षित
आलोक दीक्षित का जन्म चार जुलाई, 1988 को कानपुर के कल्याणपुर के मुखर्जी विहार के रहने वाले डॉ. संत कुमार दीक्षित और रूपम दीक्षित के घर हुआ। उन्होंने कानपुर के वीएसएसडी कॉलेज से ग्रेजुएशन किया और उसके बाद दो साल तक एयरफोर्स में रहे। जहां उनका मन नहीं लगा, तो उन्होंने एयरफोर्स की नौकरी छोड़ दी। उसके बाद उन्होंने बेंगलुरु से पत्रकारिता की।
शीरोज हैंगआउट कैफे की ये सर्वाइवर भी फिल्म का हिस्सा
छांव फाउंडेशन की मदद से एसिड अटैक सर्वाइवर के लिए लखनऊ और आगरा में 'शीरोज हैंगआउट कैफे' भी खोले गए। इसकी देखरेख, इसमें काम करने वाली सभी एसिड अटैक सर्वाइवर हैं। छपाक में भी आपको लखनऊ कैफे में काम करने वाली जीतू-कुंती और आगरा कैफे में कान करने वाली रितु-बाला नजर आएंगी।
यह भी पढ़ें:
जानिए, वैभव कृष्ण के निलंबन और कमिश्नरी सिस्टम लागू करने पर क्या बोले मुख्य सचिव Uttar Pradesh LIVE News Updates : यूपी की राजनीति से लेकर अपराध समेत जानें गांव-शहर की हर छोटी-बड़ी खबर का अपडेट