नई दिल्ली।  Chhath Puja 2019 दिवाली के बाद छठ का महापर्व मनाया जा रहा है। उत्तर प्रदेश के पूर्वी और बिहार में इस त्यौहार की धूम है। लोग आज षष्टी की शाम सूर्य को अर्घ्य दे रहे हैं। इस पर्व के अंतिम चरण में कल सप्तमी की सुबह उगते हुए सूरज को अर्घ्य देने के साथ इस पर्व का समापन होगा। छठ महापर्व के दौरान घरों में तरह-तरह के पकवान बनते हैं। छठ पूजा का महत्व और इससे जुड़ी कहानी आज हम आपको बताते हैं।


छठी मइया के महत्व को बताती ये कहानी
पौराणिक कथा के अनुसार प्रियव्रत नाम का एक राजा था। उनकी पत्नी का नाम था मालिनी। दोनों की कोई संतान नहीं थी। इस बात से राजा और रानी दोनों की दुखी रहते थे। संतान प्राप्ति के लिए राजा ने महर्षि कश्यप से पुत्रेष्टि यज्ञ करवाया। यह यज्ञ सफल हुआ और रानी गर्भवती हुईं।


लेकिन रानी के मरा हुआ बेटा पैदा हुआ। इस बात से राजा और रानी दोनों बहुत दुखी हुए और उन्होंने संतान प्राप्ति की आशा छोड़ दी। राजा प्रियव्रत इतने दुखी हुए कि उन्होंने आत्म हत्या का मन बना लिया, जैसे ही वो खुद को मारने के लिए आगे बढ़े षष्ठी देवी प्रकट हुईं।


देवी ने राजा से कहा कि जो भी व्यक्ति मेरी सच्चे मन से पूजा करता है मैं उन्हें पुत्र का सौभाग्य प्रदान करती हूं। यदि तुम भी मेरी पूजा करोगे तो तुम्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति होगी। राजा प्रियव्रत ने देवी की बात मानी और कार्तिक शुक्ल की षष्ठी तिथि के दिन देवी षष्ठी की पूजा की। इस पूजा से देवी खुश हुईं और तब से हर साल इस तिथि को छठ पर्व मनाया जाने लगा।


षष्ठी मइया को छठ मइया कहते हैं
कार्तिक मास की षष्टी को छठ (Chhath) का पर्व मनाया जाता है। छठे दिन पूजी जाने वाली षष्ठी मइया को बिहार में स्थानीय भाषा में छठी मइया कहकर पुकारते हैं। मान्यता है कि छठ पूजा के दौरान पूजी जाने वाली यह माता सूर्य भगवान की बहन हैं। इसीलिए लोग सूर्य को अर्घ्य देकर छठ मइया को प्रसन्न करते हैं। वहीं, पुराणों में मां दुर्गा के छठे रूप कात्यायनी देवी को भी छठ माता का ही रूप माना जाता है।