दिवाली के बाद साल का दूसरा बड़ा त्योहार आने वाला है. कल भाई दूज होते ही लोग छठ पूजा की तैयारियों में जुट जाएंगे. वैसे तो छठ पूरे देश में धूमधाम से मनाई जाती है लेकिन बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश का ये बहुत बड़ा त्योहार है. महिलाएं काफी दिनों पहले से पूजा की तैयारियां शुरू कर देती हैं और देश-विदेश से लोग अपने घर जाने की तैयारियां करने लगते हैं. जानते हैं छठ पूजा के विषय में सभी महत्वपूर्ण जानकारियां.


कब मनाते हैं छठ –


ये महापर्व दीपावली के 6 दिन बाद कार्तिक महीने की षष्ठी यानी छठी के दिन मनाया जाता है. इस पर्व की अवधि चार दिन तक होती है और नहाए खाय से शुरू होने वाला यह पर्व सूर्य देव को जल देने के साथ चौथे दिन खत्म होता है. इस दौरान महिलाएं 36 घंटे निर्जला व्रत रखती हैं. इस बार ये त्योहार 10 नवंबर को मनाया जाएगा. हालांकि इसकी शुरुआत 08 नवंबर को नहाय-खाय से हो जाएगी.


तीन दिन तक चलता है ये पर्व –


इस पर्व की शुरुआत पहले दिन नहाय-खाय से होती है. अगले दिन से व्रत शुरू होता है जिसे खरना कहते हैं. इस दिन गुड़ की खीर बनाकर उसे प्रसाद के रूप में खाया जाता है. आज ही से उपवास शुरू होता है.


तीसरे दिन महिलाएं निर्जला उपवास रखती हैं और पूजा का प्रसाद तैयार करती हैं. इस दिन नये कपड़े पहनकर नदी या तालाब में खड़े होकर महिलाएं डूबते सूरज की पूजा करती हैं. चौथे और अंतिम दिन सप्तमी को इस पूजा का समापन होता है. इस दिन सूर्य को अर्घ्य देकर और प्रसाद बांटकर पूजा संपन्न होती है.


पूजा सामग्री –


इस व्रत के लिए सबसे पहले पूजा करने वाले के लिए नए कपड़े लेने होते हैं. नए कपड़ों के अलावा छठ पूजा का प्रसाद रखने के लिए बांस की दो बड़ी टोकरियां, सूप, दूध और जल के लिए एक ग्लास, एक लोटा या कलश और थाली की जरूरत पड़ती है.


इनके अलावा पांच गन्ने जिसमें पत्ते लगे हों, पानी वाला नारियल, अक्षत, पीला सिंदूर, दीपक, घी, बाती, कुमकुम, चंदन, धूपबत्ती, कपूर, दीपक, अगरबत्ती, माचिस, फूल, हरे पान के पत्ते, साबुत सुपाड़ी, शहद का भी इंतजाम कर लें.


प्रसाद –


छठ पूजा पर बाकी व्यंजनों के साथ ही कुछ खास प्रकार का भोजन जरूर बनता है जैसे ठेकुआ, कसर और रसियाव. इसके साथ ही छठ पूजा में कद्दू की सब्जी, पूड़ी और हरे चने का भी प्रसाद बनता है.


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