छत्तीसगढ़ के सुकमा में नक्सली हमले में कानपुर का जवान शहीद, तीन महीने पहले हुई थी शादी
Sukma Naxal Attack: कानपुर के रहने वाले शहीद शैलेंद्र कुमार अपने परिवार में तीन भाई थे. जिसमे से एक भाई का देहांत कुछ समय पहले ही हो चुका था. इस नक्सली हमले से शहीद के गांव में हड़कंप मच गया.

Kanpur News: नक्सलवाद और नक्सली अभी भी अपनी गतिविधियों से हावी होना चाह रहे हैं. छत्तीसगढ के सुकमा जिले में हुए नक्सली हमले में नक्सलियों ने सीआरपीएफ के जवानों की गाड़ी को अपना निशाना बना डाला. फोर्स की गतिविधियों को डैमेज करने के लिए इस हमले को किया गया है. जिसमें बताया जा रहा है कि ब्लास्ट के जरिए सीआरपीएफ की गाड़ी को उड़ाने की कोशिश की गई, गाड़ी पर हुए हमले में ब्लास्ट के दौरान सीआरपीएफ के दो जवान शहीद हो गए और कई जवान घायल हुए जिन्ंहे उपचार के लिए अस्पताल पहुंचाया गया.
इस नक्सली हमले में घायल जवानों में एक जवान कानपुर का रहने वाला था जो कानपुर के महाराजपुर थाना क्षेत्र के पुरवा मीर नौगांव का रहने वाला था. जिसका नाम शैलेंद्र कुमार था और छत्तीसगढ़ में सीआरपीएफ में तैनात थे. शैलेंद्र की शादी तीन माह पूर्व ही हुई थी, शैलेंद्र की शादी कोमल नाम की लड़की से हुई थी जो कानपुर में एक निजी कोचिंग में पढ़ाई कर रही है.
कानपुर के रहने वाले शहीद शैलेंद्र कुमार अपने परिवार में तीन भाई थे. जिसमे से एक भाई का देहांत कुछ समय पहले ही हो चुका था. इस नक्सली हमले से शहीद के गांव में हड़कंप मच गया. शहीद के परिवार को सूचना सोशल मीडिया के जरिए मिली थी लेकिन बाद में इस हमले की पुष्टि परिवार को हो गई तभी से घर और पूरे गांव में मातम पसरा हुआ है.
वहीं इस हमले पर सरकार और अधिकारियों ने शाहीद हुए जवानों और घायलों के प्रति संवेदनाएं व्यक्त की हैं. वहीं परिवार इस हमले में अपने बेटे की मौत पर टूट गया है. तीन माह में एक दुल्हन की मांग उजड़ गई, शहीद की पत्नी के अभी हाथों की शायद मेहंदी भी नहीं छूटी होगी और उससे पहले ही इस हमले ने उसकी जिंदगी उजाड़ दी.
वहीं गांव में शहीद शैलेंद्र की मौत की खबर पर हर घर में सन्नाटा छा गया है. गांव के सभी लोग शहीद जवान के घर पर इकट्ठा होकर परिवार के गम में शरीक होने पहुंच रहे हैं. शैलेंद्र की यादों को याद कर गांव के लोग उसके व्यवहार की तारीफ करते नहीं थक रहे हैं. गांव वालों का कहना है कि शैलेंद्र व्यवहार कुशल थे और जब भी छुट्टी पर घर आते थे तो हर किसी से मुलाकात करते थे और सबकी खैर खबर रखते थे. अब गांव और परिवार को शहीद जवान के पार्थिव शरीर का इंतजार है.
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